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भारत-पाक के बाद युद्ध के मुहाने पर क्यों आए एशिया के दो और देश, चीन है कॉमन फ्रेंड

कंबोडिया-थाईलैंड 817 KM लंबी सीमा साझा करते हैं, इनमें कई स्थानों पर दोनों के बीच लंबे समय से विवाद है। यह सीमा 1907 में फ्रांस द्वारा निर्धारित की गई थी जब कंबोडिया एक फ्रांसीसी उपनिवेश था। 2011 में दोनों देशों के बीच एक सप्ताह तक गोलाबारी हुई थी।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 9 June 2025 04:41 PM
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भारत-पाक के बाद युद्ध के मुहाने पर क्यों आए एशिया के दो और देश, चीन है कॉमन फ्रेंड

Thailand-Cambodia Tension: भारत-पाकिस्तान के बीच पिछले महीने हुए चार दिनों के सैन्य झड़प और दोनों देशों के बीच जारी तनातनी के बीच एशिया के दो और देश युद्ध के मुहाने पर आ खड़े हुए हैं। दोनों देशों ने अपनी-अपनी सीमाओं पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती भी कर रखी है। बड़ी बात ये है कि ये दोनों देश भी पड़ोसी हैं और दोनों की सीमा कॉमन है। एक और बड़ी बात यह है कि इन दोनों देशों का कॉमन फ्रेंड चीन है। चीन के दोनों ही देशों के साथ अच्छे रिश्ते हैं। युद्ध के मुहाने पर खड़े ये दोनों देश हैं कंबोडिया और थाईलैंड।

दोनों के बीच लंबे समय से सीमा विवाद भी चल रहा है। जब-तब दोनों देशों के बीच सीमा पर झड़प होती रहती है। पिछले दिनों 28 मई को भी थाईलैंड-कंबोडिया की सीमा पर सैन्य झड़प हुई, जिसमें कंबोडिया के एक सैनिक की मौत हो गई। ये झड़प उस विवावदित सीमाई इलाके में हुई, जहां अभी तक कोई स्पष्ट सीमा रेखा निर्धारित नहीं हो सकी है। इसके बाद दोनों देशों के बीच जारी तनाव और बढ़ गया। इसे देखते हुए दोनों देशों ने सीमा पर अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती कर दी।

सीमा पर बढ़ाए गए सैनिक बल

इस बीच, 7 जून यानी शनिवार को थाईलैंड के रक्षा मंत्री ने घोषणा की कि उनके देश ने कंबोडिया के साथ सटी विवादित सीमा पर सैनिकों की उपस्थिति बढ़ा दी है। हालांकि, उनका कहना है कि कंबोडियाई सैनिकों की सीमा पर बढ़ी तादाद को देखते हुए ही ऐसा किया गया है। थाईलैंड और कंबोडिया के बीच ताजा संघर्ष को पूर्वी एशिया में शांति प्रयासों के लिए झटका माना जा रहा है। दक्षिण-पूर्व एशियाई आसियान ब्लॉक के मौजूदा अध्यक्ष और मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने की कोशिशें की हैं लेकिन वे नाकाम रहे।

कंबोडिया पर बरसे थाई डिप्टी पीएम

थाईलैंड के उप-प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री फुमथम वेचायाचाई ने आरोप लगाया कि कंबोडिया ने द्विपक्षीय वार्ता में शांति प्रस्तावों को खारिज कर जानबूझकर तनाव को बढ़ाया है। थाईलैंड की सेना ने भी स्पष्ट शब्दों में कहा है कि कंबोडियाई सैनिक और नागरिक बार-बार थाई क्षेत्र में घुसपैठ कर रहे हैं। इससे हालात और बिगड़ रहे हैं। थाई सरकार की ओर से यह बयान में कहा गया है कि उसका देश संप्रभुता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद् है और सीमा पर सैनिकों की तैनाती जारी रखेगा।

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अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय जाएगा कंबोडिया

दूसरी तरफ, कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन मानेट ने एक भाषण में कहा कि हमारा रुख संघर्ष शुरू न करने का है। हमारा रुख संघर्ष शुरू करने का नहीं, बल्कि खुद का बचाव करने का है लेकिन हम पर हमला हुआ तो हम चुप नहीं बैठेंगे। उन्होंने कहा, "हमारे मार्गदर्शक सिद्धांत अंतरराष्ट्रीय कानूनी ढाँचों का सम्मान करना है। ये मूलभूत रणनीतियाँ हमारे देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं।" मानेट ने यह भी घोषणा की है कि कंबोडिया अब विवादित सीमा क्षेत्रों को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में ले जाएगा। यह निर्णय उस समय लिया गया जब द्विपक्षीय वार्ताएं विफल हो गईं। इससे यह संकेत मिलता है कि दोनों देशों की सीमा पर सैन्य कार्रवाई किसी भी समय तेज हो सकती है।

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