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टैरिफ और ईरान के बाद एक और मोर्चे पर नरम पड़े ट्रंप, यूक्रेन को सैन्य मदद अब ऋण नहीं

डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने यूक्रेन के साथ चल रहे मिनरल्स डील में ऐसे कुछ विवादास्पद मांगों को छोड़ दिया है, जिस पर यूक्रेन को सबसे ज्यादा आपत्ति थी। हालांकि, इस डील की राह में कई बाधाओं को दूर किया जाना बाकी है।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तानThu, 17 April 2025 02:55 PM
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टैरिफ और ईरान के बाद एक और मोर्चे पर नरम पड़े ट्रंप, यूक्रेन को सैन्य मदद अब ऋण नहीं

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक के बाद एक मोर्चे पर अपने रुख में बहलाव लाते हुए नरमी का परिचय दे रहे हैं। पहले उन्होंने रेसिप्रोकल टैरिफ पर 90 दिनों तक रोक लगा दी। इसके बाद उन्होंने ईरान पर भी नरमी बरतते हुए उसके परमाणु ठिकानों पर इजरायल के हमलों पर ब्रेक लगा दिया और अब उन्होंने युद्धग्रस्त यूक्रेन के मुद्दे पर नरमी दिखाई है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ट्रंप ने यूक्रेन के साथ होने वाले मिनरल्स डील में नरमी बरतते हुए इस बात पर अपनी सहमति दे दी है कि यूक्रेन को दी गई सैन्य मदद ऋण नहीं होगा।

रिपोर्ट्स में कहा गया है कि यूक्रेन-यूएस मिनरल्स डील के नवीनतम ड्राफ्ट पर बातचीत जारी है। इसमें ट्रम्प प्रशासन यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता को ऋण के रूप में नहीं मानने पर सहमत हो गया है। हालांकि, उस राशि को बिना ब्याज के चुकाना जरूरी होगा। बहरहाल, न तो अमेरिका और न ही यूक्रेनी अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है। इस बीच, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा है कि मिनरल्स डील की सराहना की है और कहा है कि मामले में अच्छी प्रगति हुई है।

4 फीसदी ब्याज की मांग नहीं

बता दें कि इससे पहले अमेरिका और यूक्रेन के बीच जो मिनरल्स डील हो रही थी, उसमें ट्रंप ने यूक्रेन की ऊर्जा और अन्य प्राकृतिक संसाधनों पर पूर्ण नियंत्रण की बात कही थी और इसके अलावा अब तक की अमेरिकी सहायता के पुनर्भुगतान पर 4 फीसदी ब्याज की मांग की गई थी। हालांकि, यूक्रेन ने इन शर्तों का विरोध किया था और कहा था कि ये शर्तें हिंसक हैं, जो यूक्रेन को अमेरिकी उपनिवेश में तब्दील कर देगा।

अमेरिका ने शर्तों में दी ढील, लेकिन बाधाएं बरकरार

बातचीत से परिचित एक वरिष्ठ अधिकारी ने AFP को बताया कि अमेरिका-यूक्रेन खनिज सौदे के नए मसौदे में यूक्रेन को दी जाने वाली अमेरिकी सहायता को कर्ज के रूप में मान्यता नहीं दी गई है। हालांकि,इसे चुकाना होगा। रिपोर्ट के अनुसार, इस सौदे को अंतिम रूप देने में अभी भी कुछ बड़ी बाधाएं बनी हुई हैं क्योंकि पिछले ड्राफ्ट की ही तरह नए मसौदे में भी अमेरिका यूक्रेन को कोई सुरक्षा गांरटी नहीं देना चाह रहा है।

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ब्लूमबर्ग के अनुसार, ट्रम्प प्रशासन चाहता है कि यूक्रेन को अब तक दी गई सहायता, जो लगभग 90 अरब डॉलर है, को संयुक्त कोष में योगदान के रूप में माना जाए, जिसे यूक्रेन के प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए बनाया जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि यूक्रेन को अधिकांश धनराशि इसी कोष में डालनी होगी। अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंन्ट ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि इसी सप्ताह यूक्रेन संग खनिज डील पर दस्तखत हो जाएंगे।

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