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रूस को जी-7 में रखते तो यूक्रेन पर हमला न होता; डोनाल्ड ट्रंप ने किया बचाव तो क्या बोला रूस

रूस के खिलाफ अमेरिका से मदद की उम्मीद लेकर आए यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की भी निराश होकर लौटे। उन्होंने कहा कि अब तो कूटनीति के कोई मायने ही नहीं रह गए हैं। उन्होंने जी-7 समिट में रूस के खिलाफ कोई बयान जारी न होने पर भी निराशा जताई।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, मॉस्को/वॉशिंगटनWed, 18 June 2025 11:03 AM
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रूस को जी-7 में रखते तो यूक्रेन पर हमला न होता; डोनाल्ड ट्रंप ने किया बचाव तो क्या बोला रूस

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं तो वहीं कई बार उनका रुख अप्रत्याशित होता है। ऐसा ही जी-7 समिट के दौरान हुआ, जिसमें उम्मीद की जा रही थी कि यूक्रेन और रूस की जंग को लेकर कोई साझा और सख्त बयान जारी किया जाएगा। ऐसा नहीं हो सका। यही नहीं डोनाल्ड ट्रंप ने तो यहां तक कह दिया कि 2014 में क्रीमिया पर कब्जे के बाद रूस को जी-7 से बाहर करना गलत फैसला था। तब यह समूह जी-8 कहलाता था और रूस भी इसका मेंबर था। 1997 से 2013 तक रूस इसका सदस्य रहा था, लेकिन क्रीमिया के विलय के बाद कम्युनिस्ट देश को बाहर कर दिया गया।

ट्रंप ने कहा कि यदि आज रूस जी-8 का सदस्य होता तो हम यह जंग न देख रहे होते। यूक्रेन पर रूस का इस तरह से हमला नहीं होता। यदि रूस जी-8 का सदस्य होता तो बात की जा सकती थी। मैं नहीं मानता कि उस समय रूस के साथ कोई दुश्मनी जैसी स्थिति थी। यदि आज रूस मेंबर होता तो फिर उससे बात हो सकती थी। उन्होंने कहा कि कनाडा के तत्कालीन पीएम स्टीफन हार्पर और बराक ओबामा की यह गलती थी। डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान से रूस काफी खुश दिखा। रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय से जारी बयान में कहा गया कि डोनाल्ड ट्रंप की बात सही है, लेकिन अब जी-7 का हमारे लिए कोई महत्व नहीं है।

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क्रेमलिन ने कहा कि अब जी-7 रूस के लिए बेकार की चीज है। दिलचस्प बात यह है कि डोनाल्ड ट्रंप जी-7 की मीटिंग बीच में ही छोड़कर वॉशिंगटन चले गए। अमेरिकी प्रशासन के अनुसार ट्रंप नहीं चाहते थे कि ईरान और इजरायल में जारी जंग के बीच यह दूर रहे हैं। ऐसे में वॉशिंगटन से मैनेज करना आसान होता है और वह लौट आए।

निराश होकर लौट गए जेलेंस्की, बोले- कूटनीति अब नहीं बची

वहीं रूस के खिलाफ अमेरिका से मदद की उम्मीद लेकर आए यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की भी निराश होकर लौटे। उन्होंने कहा कि अब तो कूटनीति के कोई मायने ही नहीं रह गए हैं। उन्होंने जी-7 समिट में रूस के खिलाफ कोई बयान जारी न होने पर भी निराशा जताई। वहीं कनाडा के पीएम कार्नी ने कहा कि रूस और यूक्रेन को लेकर साझा बयान की बात एजेंडे में ही नहीं थी।

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