जान बचाने के लिए जूझ रहे, ईरान में फंसे भारतीय छात्रों ने सरकार से लगाई गुहार
ईरान में इजरायल के हमलों के बीच सैकड़ों भारतीय छात्र वहां फंसे हुए हैं। यह भारतीय छात्र ईरान में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए गए हैं। अब यह छात्र भारत सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें यहां से निकाल जाए।

ईरान में इजरायल के हमलों के बीच सैकड़ों भारतीय छात्र वहां फंसे हुए हैं। यह भारतीय छात्र ईरान में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए गए हैं। अब यह छात्र भारत सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें यहां से निकाल जाए। इन छात्रों का कहना है कि वह यहां पर सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। गौरतलब है कि ईरान पर पिछले 65 घंटों में हुए इजरायली हवाई हमलों में 244 लोग मारे गये और करीब 1,277 लोग घायल हुए हैं। ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता होसैन करमनपुर ने रविवार को यह जानकारी दी। करमनपुर ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में लिखा कि मृतकों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं और घायलों की संख्या 1,277 है। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उन्होंने कहा कि हताहतों में 90 प्रतिशत से अधिक नागरिक थे।
बेसमेंट में छिपकर रहने को मजबूर
इम्तिसाल मोहिदीन तेहरान के शाहिद बेहेश्ती यूनवर्सिटी में एमबीबीएस के थर्ड ईयर के स्टूडेंट है। मोहिदीन मूल रूप से जम्मू और कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंडवाड़ा से हैं। मोहिदीन ने कहाकि शुक्रवार को रात करीब 2 बजकर 30 मिनट पर तेज धमाका हुआ। इसके बाद हम लोग बेसमेंट की तरफ भागे। तब से लेकर अभी तक हम सोए नहीं हैं। इम्तिसाल उन 350 भारतीय छात्रों में शामिल हैं, जो यहां पर पढ़ रहे हैं।
वहीं, हालात खराब होने के बाद से यूनिवर्सिटी में क्लासेज नहीं चल रही हैं। छात्रों के हॉस्टल्स और अपार्टमेंट से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर धमाके की आवाज सुनाई देती है। इसके चलते कई लोगों को बेसमेंट में शरण लेने पर मजबूर होना पड़ा है। मोहिदीन ने बताया कि हम अपने अपार्टमेंट के बेसमेंट में फंसे हुए हैं। हम हर रात विस्फोट सुनते हैं। एक विस्फोट केवल 5 किमी दूर था।
हर तरफ डर का माहौल
यह डर सिर्फ तेहरान तक नहीं है। श्रीनगर के रहने वाले फैजान नबी केरमान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज में फर्स्ट ईयर के छात्र हैं। उन्होंने बताया कि उन इलाकों में भी डर फैलने लगा है जो पहले सुरक्षित माने जाते थे। फैजान ने बताया कि हमने अपने शहर में आज गोलियों की आवाज सुनी है। तेहरान में हमारे दोस्त डरे हुए हैं। हमें सलाह दी गई है तीन-चार दिनों के लिए पानी स्टोर कर दें। हालात काफी ज्यादा खराब हो चुके हैं। उन्होंने कहाकि घर से हर रोज दसियों बार फोन आ रहा है। इंटरनेट इतना धीमा है कि मैं जल्दी से वॉट्सऐप मैसेज भी नहीं भेज पा रहा हूं। हम यहां डॉक्टर बनने आए थे, अब जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
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