Latest Clashes in Syria Latakia and Tartus government forces and Assad loyalists kill more than 200 सीरिया की सरकार पर अचानक टूट पड़े असद समर्थक, अंधाधुंध गोलीबारी; 200 से ज्यादा की मौत, International Hindi News - Hindustan
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सीरिया की सरकार पर अचानक टूट पड़े असद समर्थक, अंधाधुंध गोलीबारी; 200 से ज्यादा की मौत

  • शुक्रवार को हुई ताजा झड़पों में 120 से अधिक लोग मारे गए, जिससे यह असद के सत्ता से हटने के बाद का सबसे हिंसक दिन बन गया।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, दमिश्कSat, 8 March 2025 07:57 AM
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सीरिया की सरकार पर अचानक टूट पड़े असद समर्थक, अंधाधुंध गोलीबारी; 200 से ज्यादा की मौत

सीरिया में सरकार और पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद के समर्थकों के बीच हुई हिंसक झड़पों में 200 से अधिक लोगों की जान चली गई है। यह हिंसा उस समय भड़की जब गुरुवार को लताकिया प्रांत के ग्रामीण इलाकों में सरकारी बलों पर असद के वफादार लड़ाकों ने घात लगाकर हमला किया। यह घटना असद शासन के पतन के बाद सबसे खतरनाक चुनौती मानी जा रही है।

सीरियाई ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के अनुसार, शुक्रवार को हुई ताजा झड़पों में 120 से अधिक लोग मारे गए, जिससे यह असद के सत्ता से हटने के बाद का सबसे हिंसक दिन बन गया। ऑब्जर्वेटरी ने बताया कि गुरुवार को जाबलेह के पास सरकारी बलों पर हुए हमले में कम से कम 13 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। इसके बाद सरकार ने क्षेत्र में भारी सैन्य बल तैनात किया और जवाबी कार्रवाई में असद समर्थक लड़ाकों को निशाना बनाया।

लताकिया और तारतूस में भीषण झड़पें

ये झड़पें सीरिया के तटीय इलाकों, खासकर लताकिया और तारतूस में हुईं, जो असद परिवार का गढ़ माने जाते हैं और जहां अलावाइट समुदाय का प्रभाव है। सरकार का दावा है कि उसने स्थिति को नियंत्रण में कर लिया है, लेकिन असद समर्थकों द्वारा बदले की कार्रवाइयों ने क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया है। शुक्रवार को कुछ कार्यकर्ताओं ने बताया कि अलावाइट क्षेत्रों में दर्जनों पुरुषों की हत्या कर दी गई, जिससे सांप्रदायिक हिंसा की आशंका बढ़ गई है।

सीरिया की नई सरकार का नेतृत्व अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शारा कर रहे हैं। उन्होंने हिंसा को दबाने के लिए तटीय क्षेत्रों में कर्फ्यू लागू कर दिया और अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात किया। सरकार ने इसे "असद मिलिशिया के अवशेषों" का सुनियोजित हमला करार दिया है। हालांकि, अभी तक मरने वालों की सटीक संख्या की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो सकी है।

यह हिंसा दिसंबर में असद के सत्ता से हटने के बाद शुरू हुई अस्थिरता का हिस्सा है, जब इस्लामवादी संगठन हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के नेतृत्व में विद्रोहियों ने दमिश्क पर कब्जा कर लिया था। विशेषज्ञों का मानना है कि असद समर्थकों का प्रतिरोध नई सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है, जो देश में एकता और स्थिरता लाने की कोशिश कर रही है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस हिंसा पर चिंता जताई है, क्योंकि यह मध्य पूर्व में पहले से ही जटिल स्थिति को और खराब कर सकती है। स्थानीय लोग अब शांति की उम्मीद खोते जा रहे हैं, क्योंकि सत्ता संघर्ष और सांप्रदायिक तनाव एक बार फिर आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं।

सीरिया की राजनीतिक स्थिति (8 मार्च 2025 तक)

सीरिया इस समय एक जटिल और अस्थिर राजनीतिक दौर से गुजर रहा है। दिसंबर 2024 में बशर अल-असद के शासन के पतन के बाद देश में सत्ता परिवर्तन हुआ, जिसके बाद हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार ने नियंत्रण संभाला। अहमद अल-शारा के नेतृत्व वाला यह संगठन पहले एक इस्लामवादी विद्रोही समूह के रूप में जाना जाता था, लेकिन अब यह खुद को एक समावेशी और लोकतांत्रिक सरकार स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध दिखाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, देश की राजनीतिक स्थिति अभी भी अनिश्चितता और चुनौतियों से भरी हुई है।

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वर्तमान सरकार और शासन

अंतरिम सरकार: असद के सत्ता से हटने के बाद, अहमद अल-शारा के नेतृत्व में एक सरकार की स्थापना हुई। मोहम्मद अल-बशीर को दिसंबर 2024 में अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया, और यह सरकार 1 मार्च 2025 तक जरूरी सेवाओं के प्रबंधन के लिए काम कर रही थी। इसका लक्ष्य एक स्थिर प्रशासन बनाना और नए संविधान के साथ चुनाव की तैयारी करना है।

राष्ट्रीय संवाद सम्मेलन: जनवरी 2025 में प्रस्तावित यह सम्मेलन विभिन्न समुदायों और राजनीतिक धाराओं को एक मंच पर लाने का प्रयास था, लेकिन इसकी तारीख और प्रभावशीलता को लेकर असमंजस बना हुआ है। यह सम्मेलन देश के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, लेकिन इसकी देरी ने सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं।

आंतरिक चुनौतियां

सुरक्षा संकट: असद शासन के पतन के बाद देश में सुरक्षा स्थिति बिगड़ गई है। लताकिया और तारतूस जैसे तटीय क्षेत्रों में असद समर्थकों और सरकारी बलों के बीच हिंसक झड़पें देखी गईं, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए। कर्दाहा जैसे इलाकों में अराजकता फैली हुई है, और सरकार ने कर्फ्यू और अतिरिक्त बल तैनात किए हैं।

सांप्रदायिक तनाव: अलावाइट, सुन्नी, कुर्द और अन्य समुदायों के बीच तनाव बढ़ रहा है। असद समर्थकों के खिलाफ प्रतिशोध की घटनाएं सामने आई हैं, जिससे सांप्रदायिक हिंसा का खतरा बढ़ गया है।

आर्थिक संकट: लंबे गृहयुद्ध और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों ने सीरिया की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है। अंतरिम सरकार को पुनर्निर्माण और बुनियादी सेवाओं के लिए भारी वित्तीय सहायता की जरूरत है, जो अभी तक अपर्याप्त है।

क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव

इजरायल: इजरायल ने दक्षिणी सीरिया में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाई है, खासकर कुनैत्रा के पास, और कहा है कि वह दमिश्क के दक्षिण में किसी भी सशस्त्र बल की मौजूदगी को बर्दाश्त नहीं करेगा। यह क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा रहा है।

रूस और ईरान: असद के निर्वासन के बाद रूस की सैन्य उपस्थिति कमजोर हुई है, जबकि ईरान का प्रभाव भी सीमित हो गया है। रूस ने असद को मॉस्को में शरण दी, लेकिन उनकी राजनीतिक गतिविधियों पर पाबंदी है।

पश्चिमी देश और अरब राष्ट्र: यूरोपीय संघ और कुछ अरब देशों ने अंतरिम सरकार के साथ सशर्त सहयोग की पेशकश की है। जनवरी 2025 में फ्रांस और जर्मनी के विदेश मंत्रियों ने दमिश्क का दौरा किया और समावेशी शासन की मांग की। सऊदी अरब भी सीरिया के भविष्य में बड़ी भूमिका निभाने की तैयारी कर रहा है।

भविष्य की संभावनाएं

अहमद अल-शारा के नेतृत्व वाली सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह सरकार समावेशी नीतियां लागू करने और क्षेत्रीय शक्तियों के साथ कूटनीतिक संतुलन बनाने में सफल रही, तो स्थिरता की उम्मीद की जा सकती है। हालांकि, शरिया कानून लागू करने की आशंकाओं और सैन्य समूहों के प्रभाव ने कई सीरियाई लोगों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अविश्वास पैदा किया है। संयुक्त राष्ट्र ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की मांग की है, और यह अनुमान लगाया है कि 2025 के मध्य तक लगभग 10 लाख शरणार्थी वापस लौट सकते हैं, बशर्ते स्थिति अनुकूल हो।

(इनपुट एजेंसी)

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