पाकिस्तान ने भी कुछ कदम उठाने का ऐलान किया है। पाकिस्तान की सुरक्षा समिति की गुरुवार को मीटिंग थी। इस मीटिंग में फैसला लिया गया है कि भारत के साथ सभी तरह के कारोबार को बंद किया जाएगा। इसके अलावा भारत के भी ऐसे राजनयिकों को वापस भेजा जाएगा, जो सैन्य सलाहकार के तौर पर इस्लामाबाद में तैनात थे।
अमेरिका आंकड़ा दिलचस्प है। यहां 20 फीसदी मुसलमान ऐसे हैं, जो धर्मांतरित होकर इस्लाम में आए हैं। वहीं 23 फीसदी ऐसे हैं, जिन्होंने इस्लाम को ही छोड़ दिया है। इस्लाम को छोड़ने वाले अमेरिकियों में 10 फीसदी ऐसे हैं, जिन्होंने किसी और धर्म को अपना लिया है।
पाक समर्थित आतंकियों की दरिंदगी ने पहलगाम में खून बहाए। इस आतंकी हमले में 28 मासूमों की जान चली गई है। इस हमले के बादभारत गुस्से में उबल रहा है।
जॉर्डन के गृह मंत्रालय ने मुस्लिम ब्रदरहुड पर पाबंदी का फैसला लिया है। इसी संगठन को हमास बनाने का जिम्मेदार माना जाता है। मिस्र से शुरू हुआ यह संगठन दुनिया के कई देशों में फैला हुआ है। मुसलमानों को एकजुट रखने को अपना एजेंडा बताने वाले मुस्लिम ब्रदरहुड को बीते दशक में आंदोलन की भी वजह माना जाता है।
जॉर्डन में मुस्लिम ब्रदरहुड आंदोलन की राजनीतिक शाखा, इस्लामिक एक्शन फ्रंट, पिछले सितंबर में हुए चुनावों के बाद संसद में सबसे बड़ा राजनीतिक समूह बन गया था। हालांकि अधिकांश सीटें अभी भी सरकार के समर्थकों के पास हैं।
प्रधानमंत्री पैकेज के तहत तैनात कर्मचारी अधिकतर प्रवासी कश्मीरी पंडित हैं, जो जम्मू-कश्मीर में विभिन्न सरकारी विभागों में काम कर रहे हैं।
भारत दौरे पर आए अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेहमाननवाजी की जमकर तारीफ की और बताया कि उनके बच्चों ने मोदी से गहरी दोस्ती कर ली है।
जिस चावल को हम सेहतमंद समझकर रोज खाते हैं, वही जहर बनता जा रहा है। एक नई रिपोर्ट ने चेताया है कि जलवायु परिवर्तन के चलते चावल में जहरीले आर्सेनिक की मात्रा खतरनाक स्तर तक बढ़ रही है, जिससे कैंसर होने का खतरा बढ़ गया है।
बांग्लादेश की मौजूदा अंतरिम सरकार द्वारा चीन और पाकिस्तान के साथ संबंधों को प्राथमिकता देने की खबरों ने भारत की चिंताओं को और गहरा कर दिया है।
कांग्रेस ने सऊदी अरब से पुराने रिश्तों की याद दिलाई है और पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की यात्रा का उल्लेख किया है। कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि दोनों देशों के बीच रिश्तों की शुरुआत 1955 में तत्कालीन सऊदी शाह सऊद बिन अब्दुल अजीज की भारत यात्रा और फिर पंडित नेहरू की रियाद यात्रा से हुई थी।