अलौली में एंबुलेंस का मरीजों को नहंी मिल रहा समुचित लाभ
1. बोले खगड़िया:अलौली में एंबुलेंस का मरीजों को नहंी मिल रहा समुचित लाभअलौली में एंबुलेंस का मरीजों को नहंी मिल रहा समुचित लाभअलौली में एंबुलेंस का मरी

अलौली। एक प्रतिनिधि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में तीन एंबुलेंस की सुविधा है। बताया जाता है कि जच्चा, बच्चा, वृद्धा एवं घटना दुर्घटना में मुफ्त सेवा का प्रावधान है। एएनसी जांच शिविर हो या प्रसव महिला को मिलने वाली सुविधा आसानी से नहीं मिल पाता है। इसका मुख्य कारण है कि अस्पताल के पास तीन एम्बुलेंश के बदले एक एम्बुलेन्स से ही काम लिया जाता है। दो एंबुलेंस हाथी का दांत बन कर रहता है। बताया जाता है कि सही से जांच हो तो एंबुलेंस संचालन में व्यापक रूप से अनियमित्ता है। जो जांच से ही स्पष्ट हो पाएगा। मिली जानकारी के अनुसार दो एंबुलेंस अस्पताल गेट पर लगा रहता है।
जिसमें एक ही काम करता है। वह भी 15 दिन का रोस्टर बना रखा है। एक एंबुलेंस किसी एकांत स्थल पर लगाकर रखा जाता है। इसके सभी चालक एवं ईएमटी घर बैठकर राशि का उठाव करते हैं। खर्च की राशि में किनकी-किनकी भागीदारी होती है यह तो जांच से ही पता चल सकता है। अस्पताल मे आयी मरीज रुणा देवी, विमला देवी, मरीज के परिजन शोभा देवी, हलसी देवी, उर्मिला देवी आदि ने बताया कि एंबुलेंस की सुविधा यदि मिलती है तो चालक द्वारा निर्धारित राशि मरीज को देनी पड़ती है। आशा कार्यकर्ता भी सुविधा की जानकारी नहीं देती। उल्टे राशि देने को मजबूर करती है। रेफर की स्थिति मे सदर अस्पताल के बदले निजी अस्पताल ले जाने के लिए प्रेरित करते हैं। प्रसव मरीज को घर भेजते समय जितने मरीज होते हैं सभी को एक साथ बैठाकर सभी से खर्च की राशि ली जाती है। इसकी शिकायत भी कोई नहीं सुनते। अस्पताल के पास तीन एंबुलेंस को शिफ्ट के अनुसार से छह चालक एवं छह ईएमटी पद स्थापित है। रोस्टर नहीं होने के कारण एक चालक एक ईएमटी 15 दिनों तक सेवा देते हैं। शेष कहां रहते हैं। किनके संरक्षण मे ऐसा हो रहा है? यह तो वरीय पदाधिकारी ही समझ सकते हैं? वर्ष 2009 केन्द्रीय सेल विभाग ने उपलब्ध कराया था एंबुलेंस : दिवंगत केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने भी सेल विभाग से अलौली अस्पताल को आधुनिक उपकरणों से लैस वर्ष 2009 मे एंबुलेंस उपलब्ध कराया था। उस समय इसकी लागत 60 लाख रुपये से अधिक थी। स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के कारण उक्त एंबुलेंस भेंट चढ़ गई। दो माह बाद ही अलौली अस्पताल की उपलब्ध एंबुलेंस को सिविल सर्जन के आदेश से सदर अस्पताल को भेजना पड़ा। वहां भी इस एंबुलेंस का कोई उपयोग नहीं किया गया। बेकार रखकर बर्बाद कर दिया गया। आखिर इसका जिम्मेवार कौन है? प्रशासन के पदाधिकारी भी इसकी खोज खबर क्यों नहीं ली? अलौली अस्पताल की व्यक्तिगत सुविधा किनकी भेंट चढ़ गई। विकास के दावें करने वाले पदाधिकारी 60 लाख से अधिक राशि के आधुनिक संसाधनों से लैस एंबुलेंस से क्यों वंचित किया इस पर ना तो कभी जिला प्रशासन या सांसद, विधायक या फिर स्थानीय जन प्रतिनिधियों का ही ध्यान गया। इस अस्पताल की उपेक्षा आखिर क्यों? लोगों में सवाल घूम रहा है। कई अस्पतालों को है एंबुलेंस की जरूरत : अतिरिक्त पीएचसी शुंभा, मघौना व मोहराघाट परास में दिन के नौ बजे से शाम पांच बजे तक प्रसव कराने की व्यवस्था चालू है। अतिरिक्त पीएचसी हरिपुर मे तो 24 घंटे प्रसव की सुविधा तो दी गई है परन्तु गंभीर मरीज के रेफर पर अब तक एक एंबुलेंस की सुविधा नहीं हो पायी है। हां, यह अलग बात है कि यदा कदा एंबुलेंस का लाभ मिल जाता है, परन्तु ऐसे अस्प्ताल को एंबुलेंस से लैस क्यों नहीं किया जाता? दो एंबुलेंस की राशि घर बैठे खर्च किया जा रहा है। सरकारी राशि का दुरुपयोग ही कहा जा सकता है। स्थानीय दो लोगों को सरकारी अनुदान की दर पर मिला है दो एंबुलेंस: स्थानीय दो लोगों को सरकारी अनुदानित दर पर एंबुलेंस मिला है। इसका उपभोग कहां हो रहा है उसका कोई पता नहीं। प्रखंड स्तर से ऐसे लाभार्थी का चयन किया गया था। उनका चयन कितना उपयोगी सावित हुआ यह देखने एवं समझने योग्य बातें है। इतना तो सत्य है कि ऐसे एंबुलेंस का उपयोग होते आज तक किसी ने नहीं देखा है। मरीज को जब एंबुलेंस की जरूरत रहती है तो आसानी से उपलबध नहीं हो पाता है। जिससे परेशानी बढ़ जाती है। बोले लोग : 1 . सरकारी परिसंपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए पदाधिकारी को जिम्मेदार बनने की जरूरत है। जिस पर निगरानी करना भी आवश्यक है। सौरव कुमार, सामाजिक कार्यकत्र्ता। 2. सरकारी विभाग के पदाधिकारी सिर्फ अपने लाभ के लिए काम करते हैं। उन्हें भावना से नहीं कर्त्तव्य निभाने की जरूरत है। - कैलाश राय, सामाजिक कार्यकर्ता। 3. प्रखंड को एंबुलेंस उपलब्ध रहते हुए भी मरीजों को परेशानी होती है। जिस पर प्रवंधक को जिम्मेदार बनने की जरूरत है। - राजन कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता। 4. मुफ्त सुविधा देने वाली एंबुलेंस सेवा जब लाभ की वस्तु बन जाय तो इसकी निगरानी करने वालों को गंभीर बनने की जरूरत है। - कुलदीप कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता। 5. स्वास्थ्य विभाग में जो भी लाभकारी योजना चलती है सभी में भ्रष्टाचार व्याप्त है। इसको रोकने के लिए ठोस पहल की जरूरत है। संतोष कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता। 6. रोगी कल्याण समिति के सदस्यों को अपनी जिम्मेदारी समझने से ही व्यवस्था सुधर सकती है। इससे पदाधिकारी के प्रति मरीजों की उदासनता दूर होगी। वरुण कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता। बोले अधिकारी: एम्बुलेंस के तीन ईएमटी के अतिरिक्त छह हैं। छह चालक भी हैं। रोस्टर के अनुसार सभी एंबुलेंस अपना काम करते हैं। रिपुंजय कुमार, बीएचएम, अलौली। फोटो 3 : कैप्शन: अलौली: सोमवार को सीएचसी परिसर में खड़ी एंबुलेंस। 2. महेशखूंट: धीमी गति से हो रहा है रेलवे स्टेशन का विकास कार्य 5.98 करोड़ की लागत से अमृत भारत योजना के तहत होना है विकास विभागीय अधिकारियों की उदासीनता से लोगों में रोष महेशखूंट। एक प्रतिनिधि महेशखूंट रेलवे स्टेशन 5.98 करोड़ की लागत से अमृत भारत योजना के तहत विकास किया जाना है। पर, विभागीय अधिकारी लापरवाही से धमी गति से कार्य हो रहा है। इस कारण रेल यात्रियों को परेशानी हो रही है। उल्लेखनीय है कि इस योजना के तहत महेशखूंट में उच्चस्तरीय प्लेटफार्म की लंबाई आमतौर पर 600 मीटर की होगी। स्टेशन पर फ्री वाइ र्फाई की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए फाइबर फाइव नेटवर्क के टावर लगाए जाएंगे। यात्रियों के लिए प्रतीक्षालय,प्लेटफार्म, विश्राम कक्ष, कार्यालय में अधिक आरामदायक और टिकाऊ फर्नीचर होगी। चरणबद्ध तरीके से मनमोहक डिजाइन का फर्नीचर आदि होगा। रेलवे स्टेशन को उच्च क्षमता वाली सुविधाओं से लैस किया जाएगा। बताया गया कि कि महिलाओं और दिव्यांगों का विशेष ध्यान रखा जाएगा। सभी श्रेणी के स्टेशन पर महिलाओं और दिव्यांगजनों के लिए पर्याप्त संख्या में शौचालय बनाए जाएंगे। रेलवे स्टेशन तक जाने आने के लिए सड़कों को चौड़ा करके अवांछित संरचनाओं को हटाकर उचित रूप से डिजाइन किए गए पैदल मार्ग, सुनियोजित पार्किंग क्षेत्र व बेहतर प्रकाश की व्यवस्था होगी। बोले सांसद: अमृत भारत स्टेशन योजना केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। जल्द काम पूरा करने को लेकर पहल की जाएगी। राजेश वर्मा, सांसद, खगड़िया।
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