Make them disappear shoot them, and say it was an encounter Pakistan again resorts to brutality in Balochistan गायब करो, गोली मारो, और कह दो मुठभेड़ था; बलूचिस्तान में फिर दरिंदगी पर उतरा पाक, International Hindi News - Hindustan
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गायब करो, गोली मारो, और कह दो मुठभेड़ था; बलूचिस्तान में फिर दरिंदगी पर उतरा पाक

  • पिछले दो दिनों में कम से कम 12 ऐसे लोगों की लाशें मिली हैं जो पहले से जबरन गायब थे। इन सभी की हत्याएं कथित तौर पर फर्जी मुठभेड़ों में की गईं।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानWed, 9 April 2025 04:20 PM
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गायब करो, गोली मारो, और कह दो मुठभेड़ था; बलूचिस्तान में फिर दरिंदगी पर उतरा पाक

पाकिस्तान का बलूचिस्तान से सौतेला बर्ताव कोई नई बात नहीं है। दशकों से बलूच अवाम न सिर्फ हाशिये पर जी रही है, बल्कि अब तो उनके जीने का हक भी छीन लिया गया है। जहां दुनिया लोकतंत्र और मानवाधिकारों की बात करती है, वहीं पाकिस्तान में अपने ही नागरिकों को गायब कर के गोली मार दी जाती है। अब फिर से बलूचिस्तान में राज्य प्रायोजित हत्याओं की एक और दर्दनाक लहर शुरू हो गई है, जिसने पूरे इलाके में गुस्से की आग भड़का दी है।

दो दिन में 12 की मौत

बलूचिस्तान पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो दिनों में कम से कम 12 ऐसे लोगों की लाशें मिली हैं जो पहले से जबरन गायब थे। इन सभी की हत्याएं कथित तौर पर फर्जी मुठभेड़ों में की गईं। बरखान, खुजदार, मश्के और बोलेदा जैसे इलाकों से जो खबरें आ रही हैं, वो यही इशारा कर रही हैं कि सुरक्षा बल अब गुमशुदा नौजवानों को मार कर एनकाउंटर का झूठा ड्रामा रच रहे हैं।

सबसे ताजा घटना बरखान जिले के मेहमा समंद खान इलाके से सामने आई, जहां सोमवार को तीन लाशें बरामद हुईं। इनकी पहचान हक नवाज बुजदार, शेरो बुजदार और गुल जमान बुजदार के तौर पर हुई। बताया जा रहा है कि हक नवाज को 5 अप्रैल को उसके घर से उठा लिया गया था, जबकि शेरो नौ महीने से लापता था और गुल जमान भी हिरासत में था। लेकिन सेना की तरफ से किसी भी मुठभेड़ का कोई बयान नहीं आया।

अगवा कर मौत के घाट उतार रही पाक सेना

बोलेदा के गर्दांक इलाके में दो और युवकों- मेहराब और खान मोहम्मद को 6 अप्रैल को उनके घरों से उठा लिया गया और फिर उनकी लाशें सामने आईं। उनके परिवारों का कहना है कि उन्हें बेरहमी से यातना दी गई और लाशें भी वापस नहीं सौंपी गईं। वहीं खुजदार के बाघबाना इलाके में भी 5 अप्रैल को तीन लोगों को मार देने का दावा किया गया, जिनमें एक अब्दुल मलिक भी था, जिसे पिछले साल 11 अक्टूबर को तुर्बत से गायब किया गया था। उसी दिन मश्के से भी तीन गोलियों से छलनी लाशें मिलीं, जिनके परिवारों ने साफ कहा कि ये सब झूठे एनकाउंटर हैं।

एक और मामला 6 अप्रैल को सामने आया, जब नादिर बलोच को मश्के के कंधारी गांव से रात में उठाया गया और अगली सुबह उसकी लाश दूरदराज इलाके में मिली। इन तमाम घटनाओं ने बलूच जनता और मानवाधिकार संगठनों को झकझोर दिया है। परिवारों का कहना है कि उनके अपनों को महीनों, कभी सालों पहले अगवा कर लिया गया था और अब उनकी लाशें फेंक कर यह दिखाया जा रहा है कि वो किसी मुठभेड़ में मारे गए।

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जहां सरकार का दावा है कि मारे गए लोग हथियारबंद गुटों से जुड़े थे, वहीं उनके परिजन और कार्यकर्ता इस दावे को सिरे से खारिज करते हैं। वो कह रहे हैं कि ये कत्ल हैं, वो भी सरकार की शह पर। मानवाधिकार संस्थाएं सालों से पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करती आ रही हैं, मगर पाकिस्तान सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगती।

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