मदद तो छोड़िए, भूकंप से तबाह इलाकों में बमबारी करने लगी म्यांमार की 'निर्दयी' सेना; आम नागरिकों की मौत
- म्यांंमार में भूकंप के बाद जुंटा सेना आम लोगों पर बमबारी करने लगी। सेना चाहती है कि आपदा का फायदा उठाकर विद्रोहियों को कुचल दिया जाए और उनके कब्जे वाले भूभाग को हथिया लिया जाए।

म्यांमार में 7.7 तीव्रता के भयंकर भूकंप के बाद चारों ओर तबाही का मंजर है। म्यांमार की मांडले सिटी में चारों ओर मलबा पसरा है। वहीं जनता अपनों के खोने के सदमे से निकल नहीं पा रही है। यूनाइटेड स्टेट जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के मुताबिक मौत का आंकड़ा 10 हजार के पार हो सकता है। वहीं एजेंसियों के आंकड़े के मुताबिक यह संख्या दो हजार के पार हो चुकी है। इस बुरे समय में म्यांमार के सैन्य शासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। राहत और बचाव के काम पीछे रहा म्यांमार का जुंटा अब भूकंप प्रभावित इलाकों में मौके का फायदा उठाने लगा है। परेशान जनता पर सेना बमबारी करने लगी है।
म्यांमार में सैन्य शासन के बाद से ही गृह युद्ध चल रहा है। म्यांमार की सेना ने मौका देखकर लोकतंत्र समर्थकों को निशाना बनाने के लिए आसमानी बमबारी शुरू कर दी। लोकतंत्र समर्थक संगठनों ने एक तरफा सीजफायर का ऐलान किया था लेकिन जुंटा ने इसका भी फायदा उठाया और बमबारी करने लगा। जानकारों का कहना है कि इस स्थिति में म्यांमार की विदेश से ही मदद हो सकती है। गृहयुद्ध के चलते म्यांमार की आर्थिक हालत पहले ही खराब हो चुकी है। ऊपर से सेना लोगों की मदद नहीं करना चाहती।
म्यांमार की सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल जॉ मिन तुन ने बमबारी से संबंधित सवालों का कोई जवाब ही नहीं दिया। उन्होंने पहले कहा था कि सेना राहत-बचाव के काम में व्यस्त है। इस दुख की घड़ी में कई देश म्यांमार की मदद कर रहे हैं। इसमें भारत भी अगुआ है। भारत ने ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत म्यांमार को मदद भेजी है। वहीं रूस और चीन भी मदद के लिए बढ़-चढ़कर आगे आते हैं। म्यांमार के जुटा चीफ मिन ऑंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मदद के लिए शुक्रिया किया।
म्यांमार के पुराने सशस्तर समूह केरेन नेशनल यूनियन का कहना है कि सेना नागरिकों को निशाना बनाकर बमबारी कर रही है। जुंटा के इस हमले को लेकर यूएन ने भी कड़ी निंदा की है। यूएन ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई अपमानजनक और अस्वीकार्य है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक शान राज्य के नौंगचो में हवाई हमले में सात लोगों की मौत की पु्ष्टि हुई है।
सैन्ट जुंटा विद्रोहियों के इलाके में बममबारी कर रही है। विद्रोही दलों ने जिन इलाको में अपना कब्जा कर रखा है, वहां जुंटा बमबारी कर रही है। इस बमबारी की वजह से भी राहत-बचाव का काम धीमा हो गया है। जानकारों का कहना है कि जुंटा का पूरा ध्यान विद्रोहियों को कुचलने पर है। वह लोगों की मदद की ओर ध्यान नहीं दे रही है। उसका मानना है कि मौके का फायदा उठाकर हाथ से निकले भूभाग को भी कब्जे में कर लेना चाहिए।
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