G7 का हिस्सा बने भारत, दुनियाभर में उठी मांग; विशेषज्ञ क्यों बता रहे हैं आज की जरूरत?
G7 के मामलों के जानकार 2005 से ही इस पर जोर दे रहे हैं कि भारत को इस समूह का हिस्सा होना चाहिए। हालांकि उनके मुताबिक अब स्थिति और भी अधिक स्पष्ट है। भारत दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी G7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए सोमवार को कनाडा पहुंचेंगे। पीएम मोदी कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के न्योते पर यहां शिरकत करेंगे। इस बीच दुनिया के अग्रणी विशेषज्ञ भारत को भी इस समूह का हिस्सा बनाए जाने की वकालत कर रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक भारत के पास G7 का हिस्सा बनने के लिए सभी विशेषताएं हैं और यह आज के दौर की जरूरत भी है।
1987 में बने G7 रिसर्च ग्रुप के डायरेक्टर प्रोफेसर जॉन किर्टन ने भी हाल ही में इसका समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, और उसे इस समूह का हिस्सा होना ही चाहिए। उन्होंने कहा, "हमें भारत की जरूरत है। मैंने सार्वजनिक रूप से कहा और लिखा है कि भारत को प्रमुख लोकतंत्रों के इस क्लब का पूर्ण सदस्य होना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि वह 2005 से ही इस दृष्टिकोण पर चर्चा कर रहे हैं, लेकिन अब स्थिति और भी अधिक स्पष्ट है। भारत ने सभी उन क्षेत्रों में सफलताएं हासिल की हैं, जो G7 में शामिल देशों ने किया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत आगामी सम्मेलन में भी प्राथमिकताओं के केंद्र में है।"
उन्होंने कहा कि इस साल शिखर सम्मेलन के लिए भारत सहित अन्य आउटरीच मेहमानों की अंतिम सूची असल में G7 प्लस है और मुख्य रूप से चीन या रूस के बिना एक लोकतांत्रिक G20 है। उन्होंने आउटरीच प्रोग्राम के लिए अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शिखर सम्मेलन में आमंत्रित करने के कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के फैसले को सराहनीय कदम बताया है। बता दें कि कनाडा, फ्रांस, इटली, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका G7 ग्रुप का हिस्सा हैं
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