बांग्लादेश में चुनाव लड़ने तैयारी में कट्टरपंथी संगठन, यूनुस ने हटा दिया था बैन; भारत पर क्या असर
Bangladesh news: बांग्लादेश में कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी अगला चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है। बांग्लादेशी सुप्रीम कोर्ट ने संगठन को राजनैतिक दर्जा देते हुए आगामी चुनाव में भाग लेने की अनुमति दे दी है। इस संगठन को पाकिस्तान समर्थक माना जाता है।

Bangladesh news: बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश और उसकी छात्र शाखा चतरा शिबपुर अब चुनाव लड़ने की राह पर चल दिए हैं। बांग्लादेशी सर्वोच्च न्यायालय ने इन दोनों का ही राजनैतिक दर्जा बहाल करते हुए इनके पंजीकरण को अनुमति दे दी है। इसके जरिए अब वह बांग्लादेश में होने वाले आगामी चुनावों में भाग ले सकते हैं। शेख हसीना ने कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी के ऊपर प्रतबंध लगाया हुआ था लेकिन पिछले साल यूनुस ने सत्ता संभालते ही इसके ऊपर से प्रतिबंध हटा दिया था।
शेख हसीना सरकार ने जमात की कट्टरपंथी हरकतों को देखते हुए 2013 में इस पर प्रतिबंध लगाते हुए इनके चुनाव में भाग लेने पर रोक लगा दी थी। हालांकि प्रतिबंध के बाद भी यह संगठन बांग्लादेश में बड़े स्तर पर सक्रिय रहा। शेख हसीना के खिलाफ हुए तथाकथित छात्र आंदोलन में जमात की मुख्य भूमिका रही। इसी संगठन के ऊपर आंदोलन में हिंदूओं को निशाना बनाने का भी आरोप लगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक इन आरोपों को मिटाने के लिए जमात खुद को रिब्रांड करने की कोशिश कर रही है।
कोर्ट ने रिहा किया नरसंहार का आरोपी
इससे पहले बांग्लादेशी अदालत ने संगठन के एक प्रमुख नेता अजहरुल इस्लाम के खिलाफ सुनाई गई सजा को भी पलट दिया। अजहरुल पर आरोप था कि उसने 1971 की लड़ाई के दौरान बलात्कार, हत्या और नरसंहार किया था। साल 2014 में उसे मौत की सजा सुनाई गई थी लेकिन यूनुस के सत्ता में आने के बाद उसके केस को फिर से खोला गया और अब उसकी सजा को भी पलट दिया गया है।
जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश का इतिहास भारत के विरोधी के तौर पर ही नजर आता है। 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी आर्मी द्वारा बंगालियों पर किए जा रहे अत्याचारों के बावजूद इस संगठन ने पाकिस्तान का समर्थन किया था। इतना ही नहीं इन्होंने नरसंहार और बलात्कार करने में भी पाक आर्मी की मदद की थी।
हसीना ने लगाया था बैन
शेख हसीना ने सत्ता में आने के साथ ही जमात के ऊपर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए जांच शुरू कर दी। हसीना के यह आरोप सही साबित हुए और जमात पर बैन लगा दिया गया। अब, जबकि हसीना का शासन बांग्लादेश से खत्म हो चुका है, तो ऐसे समय में जमात बांग्लादेश की राजनीति में एक बार फिर से अपना प्रभुत्व जमाने की कोशिश कर रहा है। उसके इस मंसूबे में, बांग्लादेश में भारत को काउंटर करने की कोशिश कर रहे पाकिस्तान का भी साथ मिल रहा है। यूनुस के आलोचकों के मुताबिक यूनुस सत्ता में आने के साथ ही पाकिस्तान के साथ मधुर और मजबूत संबंधों की वकालत कर रहे हैं.. उनका यह रुख जमात के पाकिस्तान परस्त रुख के ही समान है। ऐसे में यूनुस अपनी सत्ता को बचाए रखने के लिए जमात के दिखाए रास्ते पर ही चल रहे हैं, जिससे उन्हें जमात का समर्थन मिलता रहे।
भारत पर क्या असर?
बांग्लादेश में जमात का प्रभुत्व बढ़ना भारत के लिए एक खतरे की घंटी साबित होगा। शेख हसीना के सत्ता में रहने के दौरान भारत और बांग्लादेश के रिश्ते लगातार मजूबत रहे थे। इस दौरान भारत ने सित्तवे पोर्ट, कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजित ट्रांसपोर्ट में एक बड़ा निवेश किया है। इन प्रोजेक्ट्स से हमारी दक्षिण-पूर्व एशिया तक कनेक्टिविटी बढ़ती है इसके साथ ही यह प्रोजेक्ट भारत के सिलिगुड़ी कॉरिडोर से भी भार कम करते हैं। अगर जमात बांग्लादेश में प्रभुत्व में आता है तो भारत के इन बड़े प्रोजेक्ट्स को खतरा हो सकता है।
इसके अलावा जमात दक्षिण एशियाई अप्रवासी समुदायों के माध्यम से एक नेटवर्क तैयार करने की कोशिश में है, जिसका उद्देश्य इस्लामिक राज्य की स्थापना करना है। बांग्लादेश में जमात के प्रभुत्व का मतलब है कि उसका पूर्वी पाकिस्तान वाला दौर लौट के आ सकता है, जिसका पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंध होगा। अगर ऐसा होता है तो यह भारत के लिए बड़ी चिंताएं पैदा कर सकता है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।