Russia launch historical joint space mission with US link with world war II अंतरिक्ष की सैर पर साथ निकले रूस और अमेरिका, क्यों खास है यह मिशन; विश्व युद्ध II से कनेक्शन, International Hindi News - Hindustan
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अंतरिक्ष की सैर पर साथ निकले रूस और अमेरिका, क्यों खास है यह मिशन; विश्व युद्ध II से कनेक्शन

  • रूस और अमेरिका ने साथ में एक ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन की शुरुआत की है। दोनों देशों के अंतरिक्ष यात्री साथ में आईएसएस की ओर निकले हैं। यह मिशन द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की वर्षगांठ पर लॉन्च किया गया है।

Gaurav Kala एएफपीTue, 8 April 2025 01:21 PM
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अंतरिक्ष की सैर पर साथ निकले रूस और अमेरिका, क्यों खास है यह मिशन; विश्व युद्ध II से कनेक्शन

अमेरिका और रूस में राजनयिक तनाव के बावजूद दोनों देशों ने साथ में अंतरिक्ष मिशन की शुरुआत की है। रूस की स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस ने मंगलवार को एक नई अंतरिक्ष उड़ान के तहत सोयूज MS-27 अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इस यान में दो रूसी और एक अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सवार हैं। मिशन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की ओर अग्रसर हैं। इस ऐतिहासिक मिशन की खास बात यह है कि यान को द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य पर लॉन्च किया गया है।

इस मिशन में कौन-कौन

इस मिशन में शामिल अंतरिक्ष यात्रियों में रूसी सेर्गेई रिज़िकोव, एलेक्सी जुब्रित्स्की और अमेरिकी एजेंसी नासा से जॉनी किम शामिल हैं। तीनों अंतरिक्ष यात्री 10:47 बजे (स्थानीय समय) बायकोनूर कॉसमोड्रोम से रवाना हुए और कुछ ही मिनटों में अंतरिक्ष की कक्षा में पहुंच गए। यह यान बुधवार सुबह 9:04 GMT पर ISS के रूसी सेगमेंट से डॉक करेगा।

मिशन का उद्देश्य?

रोस्कोस्मोस ने जानकारी दी है कि इस मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्री करीब 50 वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे। यह टीम 9 दिसंबर 2025 को धरती पर लौटेगी। इस लॉन्च को देखने के लिए करीब 2,500 अंतरिक्ष प्रेमी और पर्यटक बायकोनूर पहुंचे थे, जो अब तक का एक रिकॉर्ड है।

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तनाव के बावजूद साथ में अंतरिक्ष मिशन

रूस और अमेरिका के राजनीतिक संबंधों में तनाव के बावजूद, स्पेस सेक्टर दोनों देशों के बीच सहयोग का एक अहम पुल बना हुआ है। खासकर डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद रिश्तों में कुछ नरमी देखी गई है। दूसरी ओर रूस का स्पेस प्रोग्राम लंबे समय से गर्व का विषय रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में यह घटते बजट, भ्रष्टाचार और तकनीकी विफलताओं से जूझ रहा है। लूना-25 मिशन (अगस्त 2023) की असफलता ने इन चुनौतियों को और उजागर किया है।

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