Sisters Overcome Struggles to Achieve Police Jobs in Uttar Pradesh दो सगी बहनों ने सिपाही बन पूरा किया ख्वाब, Santkabir-nagar Hindi News - Hindustan
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दो सगी बहनों ने सिपाही बन पूरा किया ख्वाब

Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर की दो बहनों, साक्षी और मीनाक्षी चतुर्वेदी ने अपने कैंसर पीड़ित पिता की देखभाल के साथ-साथ यूपी पुलिस में सिपाही पद हासिल किया। दोनों बहनों की मेहनत और संघर्ष ने उन्हें सफलता दिलाई, जिससे...

Newswrap हिन्दुस्तान, संतकबीरनगरWed, 11 June 2025 11:53 AM
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दो सगी बहनों ने सिपाही बन पूरा किया ख्वाब

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में पापा की दिखाई राह और वर्दी की चाहत में कड़ा संघर्ष कर दो सगी बहनों ने सिपाही की नौकरी हासिल कर ख्वाब पूरा किया। जेटीसी के लिए दोनों बहनों को गाजीपुर जिला आवंटित हुआ है। दोनों बहनों का एक ही ध्येय है कि कैंसर पीड़ित पिता का समुचित इलाज हो और खुद की तरक्की की राह पर आगे बढ़ती रहें। बेटियों की कामयाबी से परिवार ही नहीं समूचा गांव खुश है। धनघटा क्षेत्र के मड़पौना गांव की रहने दो सगी बहनें साक्षी चतुर्वेदी और मीनाक्षी चतुर्वेदी यूपी पुलिस में सिपाही पद पर भर्ती हुई हैं।

बड़ी बहन साक्षी बीएससी, बीएड है। जबकि छोटी बहन मीनाक्षी ने बीए किया है। दोनों बहनों की शुरु से चाहत थी कि उन्हें वर्दी वाली नौकरी मिले। इसकी राह उनके पिता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने दिखाई। पिता सत्यव्रत चतुर्वेदी करीब 10 वर्ष पूर्व जमीन खरीद कर पारा चौराहे पर मकान बनवाए और वहीं परिवार के साथ रहते है। वह पारा में ही रेडीमेड की दुकान चलाते थे। दो साल पहले इकलौते भाई शुभम चतुर्वेदी का चयन एमबीबीएस में हुआ और वह वर्तमान में राम मनोहर लोहिया मेडिकल कॉलेज दिल्ली से एमबीबीएस कर रहा है। डेढ़ साल पहले पिता सत्यव्रत चतुर्वेदी को गले में कैंसर हो गया। पिता के इलाज में परिवार की आर्थिक कमर टूट गई। यहां तक कि सड़क के किनारे की उसकी दो बिस्वा जमीन बेच देनी पड़ी। पिता का दिल्ली एम्स में एक साल पहले ऑपरेशन हुआ, लेकिन फिर गले से नीचे पिता को दूसरी जगह कैंसर हो गया। साक्षी आईटीबीपी में सिपाही पद पर चयनित हुई, लेकिन हरियाणा में ट्रेनिंग होनी थी और इधर पिता की देखभाल की समस्या थी। जिसकी वजह से साक्षी ने आईटीबीपी की नौकरी छोड़ दी। दोनों बहने रामजानकी मार्ग पर दौड़ लगाती थी। मेहननत की बदौलत दोनों बहनें साथ-साथ उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती में सिपाही पद पर चयनित हुई। मां साधना चतुर्वेदी बताती है कि उनकी बेटियां जिंदगी के कड़े इम्तिहान से गुजर कर नौकरी हासिल की। बेटियों पर उन्हें गर्व है। इनके संघर्ष की कहानी बेटियों के लिए प्रेरणादायक है।

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