senior doctor belonging to Ahmadi minority community in Pakistan was shot dead पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के खिलाफ फिर हिंसा, सीनियर डॉक्टर की गोली मारकर हत्या, International Hindi News - Hindustan
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पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के खिलाफ फिर हिंसा, सीनियर डॉक्टर की गोली मारकर हत्या

सरकार और न्यायपालिका अक्सर इन अत्याचारों पर कार्रवाई करने में विफल रहती हैं, जिससे अहमदियों में डर और असुरक्षा व्याप्त है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस उत्पीड़न की निंदा की है, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ।

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानFri, 16 May 2025 11:10 PM
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पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के खिलाफ फिर हिंसा, सीनियर डॉक्टर की गोली मारकर हत्या

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में अहमदिया समुदाय के डॉक्टर शेख महमूद की गोली मारकर हत्या कर दी गई। सरगोधा के एक निजी अस्पताल में 58 वर्षीय डॉक्टर के साथ इस वारदात को अंजाम दिया गया। पुलिस के मुताबिक, एक युवक उनके क्लिनिक में घुसा और गोलीबारी करने लगा। इसकी चपेट में आने से डॉक्टर गंभीर रूप से घायल हो गए और बाद में उनकी मृत्यु हो गई। हमलावर मौके से फरार हो गया। पुलिस का मानना है कि इस हत्याकांड को उनके अहमदिया समुदाया से जुड़े होने के कारण अंजाम दिया गया। यह पिछले 2 महीनों में पंजाब में अहमदिया समुदाय से तीसरी हत्या है।

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जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान (JAP) ने संदेह जताया कि डॉक्टर शेख महमूद की हत्या के पीछे तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) का हाथ हो सकता है। जेएपी के अनुसार, सरगोधा अहमदिया विरोधी गतिविधियों का गढ़ रहा है। डॉ. महमूद मानवतावादी शख्स थे, उन्हें चरमपंथियों की ओर से धमकियां मिलती थीं। टीएलपी के दबाव में आकर उन्हें सरकारी नौकरी छोड़नी पड़ी थी। अब जेएपी ने सरकार से अहमदिया समुदाय की सुरक्षा की मांग की है।

पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के खिलाफ हिंसा

डॉ. महमूद के घर उनकी पत्नी, दो बेटियों और दो बेटें हैं। मानवाधिकार समूहों ने इस हत्याकांड को लेकर कड़ी नाराजगी जताई और त्वरित जांच की मांग की है। सोशल मीडिया पर इस हत्या को सांप्रदायिक हिंसा का कृत्य बताया जा रहा है। यह घटना अहमदिया समुदाय के खिलाफ जारी हिंसा और भेदभाव को उजागर करती है, जिससे सरकार पर चरमपंथ के खिलाफ कार्रवाई का दबाव बढ़ा है। पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के खिलाफ हिंसा एक गंभीर मानवाधिकार मुद्दा रहा है। अहमदिया मुसलमान खुद को इस्लाम का हिस्सा मानते हैं। हालांकि, उन्हें 1974 में गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया गया था। इसके बाद से उनके खिलाफ भेदभाव और हिंसा बढ़ी। उनकी मस्जिदों पर हमले, हत्याएं और सामाजिक बहिष्कार आम है।

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