डर सबको लगता है! कैसे एक चिंता ने रूस से इजरायल तक करा दी जंग, क्या है फियर फैक्टर
हमास ने 7 अक्तूबर, 2023 में इजरायल पर भीषण अटैक कर दिया था और तब से ही इजरायल के हमले गाजा पर चल रहे हैं। इस जंग में अब तक करीब 60 हजार लोग मारे जा चुके हैं। ये दोनों मोर्चे बंद भी नहीं हुए थे कि इस बीच ईरान और इजरायल में फिर से भीषण जंग शुरू हो गई है।

बीते तीन सालों से दुनिया के कई देश लगातार जंग में हैं। रूस ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमला बोला था और अब भी दोनों देशों में वारफेयर चल रहा है। इस बीच हमास ने 7 अक्तूबर, 2023 में इजरायल पर भीषण अटैक कर दिया था और तब से ही इजरायल के हमले गाजा पर चल रहे हैं। इस जंग में अब तक करीब 60 हजार लोग मारे जा चुके हैं। ये दोनों मोर्चे बंद भी नहीं हुए थे कि इस बीच ईरान और इजरायल में फिर से भीषण जंग शुरू हो गई है। आज इस जंग का 5वां दिन है और तेहरान से लेकर तेल अवीव तक दोनों देश बम बरसा रहे हैं। अब तक ईरान में करीब 300 लोग मारे जा चुके हैं और आर्मी चीफ समेत 20 टॉप सैन्य कमांडर भी मारे गए हैं।
इसके अलावा इजरायल में भी करीब 20 लोगों की मौत हो चुकी है। पहली बार इजरायल की राजधानी तेल अवीव पर मिसाइलों के हमले हो रहे हैं और कई इमारतें जमींदोज हुई हैं। यूक्रेन और रूस की जंग हो या फिर ईरान और इजरायल का युद्ध हो। दोनों जंगों में एक चीज कॉमन है और वह है- डर। कहते हैं न कि डर सबको लगता है तो वही फियर फैक्टर है, जिसने दो जंगें करा दी हैं। इन युद्धों के चलते तेल की महंगाई से लेकर तमाम चीजों पर असर पड़ रहा है और उससे भारत समेत दुनिया के तमाम देश प्रभावित हो रहे हैं।
बात करें यूक्रेन और रूस की जंग की तो वहां फियर फैक्टर यह था कि व्लादिमीर पुतिन के देश को लग रहा था कि कहीं यूक्रेन नाटो का हिस्सा न बन जाए। यूक्रेन नाटो का हिस्सा बन सकता है, यह आरोप लगाते हुए ही रूस ने हमले शुरू किए थे। रूस ने शर्त भी यही रखी थी कि यूक्रेन गारंटी दे कि वह नाटो का हिस्सा नहीं बनेगा। वहीं यूक्रेनी राष्ट्रपति लगातार कहते रहे कि नाटो देश हमें मेंबर बनाने पर विचार करें। इससे तनाव और बढ़ता गया। दरअसल फिनलैंड, नॉर्वे, एस्टोनिया, लातविया और पोलैंड जैसे रूस के कई पड़ोसी देश पहले से ही नाटो का हिस्सा हैं। इन देशों के नाटो का मेंबर होने के चलते कभी भी अमेरिकी हथियार और सेना रूस की सीमा तक पहुंच सकते हैं।
नाटो वाला खौफ, जिसके चलते रूस ने बोल दिया था हमला
रूस पहले से ही इसे लेकर चिंता जताता रहा है और वह मानता है कि नाटो के जरिए अमेरिका उसकी घेरेबंदी करता है। फिर जब प्रतिद्वंद्वी यूक्रेन के भी नाटो जाने की आशंका हुई तो नौबत जंग तक आ गई। अब बात करते हैं इजरायल की। यहां फियर फैक्टर परमाणु हथियारों का है। इस्लामिक दुनिया में एकमात्र परमाणु संपन्न मुल्क पाकिस्तान है। ईरान, सऊदी अरब समेत कई देश इस्लामिक दुनिया में मजबूत तो हैं, लेकिन परमाणु हथियारों से रहित हैं। ऐसे में इजरायल को लगता है कि यदि ईरान के पास परमाणु हथियार हुए तो फिर फिलिस्तीन से लेकर तमाम मसलों पर वह दबाव बनाने की स्थिति में होगा।
क्यों अमेरिका से लेकर इजरायल तक में ईरान को लेकर एक डर
इसके अलावा अमेरिका के लिए भी यह चिंता की बात है। ईरान से पहले ही उसके रिश्ते खराब हैं। यदि वह परमाणु संपन्न हुआ तो फिर चीन और रूस के खेमे में जाकर अमेरिका के लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है। माना जा रहा है कि ईरान को परमाणु शक्ति बनने से रोकने और दबाव में लाने के लिए ही इजरायल ने हमला किया। यही नहीं इस हमले में अमेरिका की भी सहमति मानी जाती है ताकि ईरान को वार्ता के लिए दबाव में लाया जा सके। इस तरह फियर फैक्टर के चलते दो युद्ध फिलहाल दुनिया झेल रही है।
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