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कौन हैं अलावी समुदाय? सीरिया में ढूंढ-ढूंढकर क्यों किया जा रहा कत्ल, अब तक 1000 मौतें

  • बशर अल असद के तख्तापलट के बाद विद्रोही और सुन्नी गुट के लोग प्रतिशोध में अलावी समुदाय को निशाना बना रहे हैं। उन्हें ढूंढ-ढूंढकर मारा जा रहा है। अब तक इस हिंसा में 1000 से अधिक मौतें हो चुकी है।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तानSun, 9 March 2025 08:23 PM
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कौन हैं अलावी समुदाय? सीरिया में ढूंढ-ढूंढकर क्यों किया जा रहा कत्ल, अब तक 1000 मौतें

सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद के सत्ता से बेदखल होने के बाद अलावी समुदाय के लिए हालात बेहद भयावह हो गए हैं। कभी असद शासन के संरक्षण में रहने वाला यह समुदाय अब विद्रोही गुटों और असद विरोधी सुन्नी जनसंख्या के निशाने पर है। प्रतिशोधी हमलों में अब तक 1000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें सैकड़ों अलावी समुदाय के लोग शामिल हैं। यह हिंसा सीरिया के 14 साल पुराने संघर्ष के सबसे घातक दौरों में से एक मानी जा रही है।

अब तक कितनी मौतें?

ब्रिटेन स्थित संगठन सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स (SOHR) के अनुसार, अब तक 745 नागरिकों की हत्या की जा चुकी है, जिनमें से अधिकांश को बेहद करीब से गोली मारी गई। इसके अलावा, 125 सरकारी सुरक्षा कर्मियों और 148 असद समर्थक लड़ाकों की भी हत्या कर दी गई है। लगातार जारी इस संघर्ष ने लटकिया जैसे इलाकों में बिजली और पानी की आपूर्ति ठप कर दी है।

अलावी समुदाय निशाने पर क्यों

अलावी समुदाय सीरिया की कुल जनसंख्या का लगभग 12 प्रतिशत है और इसकी जड़ें शिया इस्लाम से जुड़ी हुई हैं। परंपरागत रूप से, यह समुदाय सीरिया के तटीय क्षेत्रों लटकिया और टार्टस में केंद्रित रहा है। बशर अल-असद इसी समुदाय से ताल्लुक रखते थे और उनके 50 साल के शासन के दौरान अलावी लोगों को सेना और प्रशासन में ऊंचे पदों पर विशेष दर्जा प्राप्त था।

लेकिन असद की सत्ता से बेदखली के बाद, सुन्नी विद्रोही गुटों ने अलावी समुदाय पर हमले तेज कर दिए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, नई सरकार के प्रति वफादार सुन्नी लड़ाकों ने अलावी गांवों में घुसकर लोगों को पहचान-पत्र दिखाने के लिए मजबूर किया और फिर उनकी हत्या कर दी।

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इन इलाकों में सबसे ज्यादा हमले

अलावी समुदाय पर सबसे भयावह हमले बनियास और लटकिया शहरों में देखने को मिले। स्थानीय लोगों ने बताया कि सड़कों पर शव बिखरे पड़े थे और घरों को आग लगा दी गई। कई मामलों में, हमलावरों ने मृतकों के शवों को घंटों तक उठाने की अनुमति तक नहीं दी। 57 वर्षीय अली शेहा, जो लटकिया से भाग निकले हैं, ने बताया, "मेरे पड़ोस में करीब 20 अलावी मारे गए। कुछ को उनकी दुकानों में गोली मार दी गई, तो कुछ को उनके घरों में ही खत्म कर दिया गया।"

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

फ्रांस ने इस बढ़ती हिंसा पर गहरी चिंता जताई है और धर्म के आधार पर हो रही हत्याओं की कड़ी निंदा की है। फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को बयान जारी कर सीरिया की अंतरिम सरकार से निष्पक्ष जांच कराने की मांग की।

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