झारखंड की कला-संस्कृति से जुड़े छऊ की है विश्व में विशिष्ट पहचान : जोबा माझी
चक्रधरपुर के धरमसाई गांव में दो दिवसीय छऊ नृत्य सह मेला का आयोजन हुआ। सांसद जोबा माझी ने समारोह में भाग लिया और छऊ नृत्य का आनंद लिया। यह मेला 1908 से आयोजित होता आ रहा है और आसपास के क्षेत्रों में...
चक्रधरपुर।चक्रधरपुर प्रखंड के कुलीतोड़ांग पंचायत अन्तर्गत धरमसाई गांव में दो दिवसीय छऊ नृत्य सह मेला का आयोजन हुआ। सोमवार को समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सिंहभूम की सांसद जोबा माझी उपस्थित रही। करीब दो घंटे तक सांसद ने छऊ नृत्य का आनंद लिया। ग्रामीणों के मुताबिक सन् 1908 से धरमसाई गांव में छऊ नृत्य सह मेला का आयोजन होता आ रहा है। आसपास के इलाकों में धरमसाई गांव का छऊ नृत्य सह मेला प्रसिद्ध है। मेला घूमने और छऊ नृत्य का आनंद लेने लोग काफी दूर से पहुंचते है। छऊ नृत्य प्रतियोगिता में गांव के दो दल उपर टोला एवं नीचे टोला के कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया।
इस मौके पर ग्रामीणों को संबोधित करते हुए सांसद जोबा माझी ने कहा आदिवासी समाज में आज भी परंपरा के अनुसार छऊ का आयोजन होता आ रहा है। छऊ नृत्य द्वारा हम अपनी पौराणिक कथाओं को कला के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं। छऊ नृत्य में सरायकेला, सिंहभूम, मयूरभंज शैली देश में अपनी एक अलग पहचान बनायी है। स्थानीय कलाकारों का उत्साह बढा़ते हुए कहा झारखंड की छऊ नृत्य पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। छऊ नृत्य झारखंड की कला संस्कृति से जुड़ा है। झारखंड सरकार कला संस्कृति को जीवित रखने के साथ इसे बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रही है। मौके पर बच्चों के लिए नृत्य प्रतियोगिता का भी आयोजन हुआ। जिसमें बेहतर प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। इस मौके पर झामुमो के केंद्रीय सदस्य रामलाल मुंडा, थाना प्रभारी राजीव रंजन, रमेश बोदरा, अजय देवगम, जयपाल जामुदा, करण जामुदा, मोहन जामुदा, विजय गोप, महेश जामुदा, रोशन जामुदा, दुर्गा जामुदा, सन्नी जामुदा, जय जामुदा, सुरेश जामुदा समेत काफी संख्या में ग्रामीण दर्शक उपस्थित रहे।
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