बोले धनबाद: रोड टैक्स से मिले छूट, एंबुलेंस की खरीद पर मिले सब्सिडी
प्राइवेट एंबुलेंस चालक कोरोना महामारी के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर रहे हैं, लेकिन अब भी उपेक्षा का सामना कर रहे हैं। सरकार से कोई विशेष सहायता नहीं मिलती और अस्पतालों में भी उन्हें सम्मान नहीं मिलता।...

बात चाहे कोरोना जैसी महामारी को नियंत्रित करने में मदद की हो या फिर सड़क दुर्घटना के घायल को कम से कम समय में अस्पताल पहुंचाने की। डिलिवरी कराने के लिए प्रसूता को अस्पताल ले जाने से लेकर गंभीर मरीजों को एक से दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करने में प्राइवेट एंबुलेंस चालकों (निजी एंबुलेंस चालक) की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। ये हमेशा फ्रंटलाइन वर्कर्स की श्रेणी में होते हैं। दिन-रात का बगैर भेद किए मरीजों को लाने ले जाने का काम तन्मयता से करते हैं। भारी बरसात हो या फिर गर्मी का मौसम। जाड़े की कंपकपाती रात में भी प्राइवेट एंबुलेंस चालक अपनी ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। बावजूद जीवन बचाने वाला यह बड़ा वर्ग उपेक्षा का दंश झेल रहा है। न तो सरकार इनकी चिंता करती है और न लोग इनके इस महत्वपूर्ण कार्य को महत्व देते हैं। एंबुलेंस चालकों को यह हर वक्त सालता रहता है कि समाज उनकी उपेक्षा करता रहता है, जबकि संकट की घड़ी में समाज के हर वर्ग के लोगो की मदद करते हैं।
हमें कोरोना महामारी के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर कहा गया था। प्रशासन से लेकर सरकार ने महामारी से समय हमारे काम की सराहना की थी। सामाजिक संगठनों ने भी हमें हाथो-हाथ लिया था। हम भी दिन-रात की परवाह किए कोरोना मरीजों को लाने ले जाने के काम में पूरी तत्परता के साथ लगे थे। इस काम में कई एंबुलेंस चालक कोरोनो संक्रमित भी हो गए। कुछ की जान भी चली गई। आम दिनों में भी हम मरीजों की सेवा करते रहते हैं। इसके बाद भी सरकार से लेकर आम जनता तक से हम उपेक्षित हैं। न तो हमें सरकार की ओर से कोई विशेष सुविधा मिलती है और न ही सड़क पर हमें प्राथमिकता दी जाती है। हम मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाने की चुनौती से जूझते रहेते हैं। हर दिन नई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। हमारी मांग है कि प्रशासन तथा सरकार हमें उचित सम्मान दे तथा एंबुलेंस संचालकों को रोड टैक्स तथा अन्य शुल्कों में छूट दी जाए। एंबुलेंस खरीदने के लिए सब्सिडी मिले। अन्य सुविधाएं भी दी जाएं ऐसा कहना था निजी एंबुलेंस चालकों का। निजी एबुलेंस चालकों ने बोले हिन्दुस्तान की टीम से बातचीत में अपनी समस्याओं तथा मांगों को रखा।
एंबुलेंस चालकों ने कहा कि हम अपने पेशे को सिर्फ जीविकोपार्जन का साधन नहीं बल्कि जनसेवा का कार्य भी मानते हैं। लेकिन सरकार की ओर से उनके लिए कोई विशेष राहत नहीं दी जाती। उल्टा, नए-नए नियमों के तहत हमसे ज्यादा टैक्स वसूला जाता है। एंबुलेंस पर भारी कर लगाया जाता है, जिससे चालक आर्थिक बोझ से दबे रहते हैं। नई नीतियों के तहत टैक्स में बढ़ोतरी की जाती है, लेकिन सुविधाओं में कोई सुधार नहीं होता। एंबुलेंस के लिए अलग से किसी तरह की टैक्स छूट या सब्सिडी देने पर विचार नहीं किया जाता।
एंबुलेंस चालकों की शिकायत है कि उन्हें अस्पतालों में भी सम्मान नहीं मिलता। अस्पताल प्रशासन न तो उनके लिए पीने के पानी की व्यवस्था करता है और न ही उनके बैठने की कोई जगह निर्धारित की जाती है। मरीजों को छोड़ने के बाद घंटों इंतजार करने की स्थिति में भी उन्हें किसी तरह की सुविधा नहीं दी जाती है। अस्पतालों में एंबुलेंस पार्किंग के लिए कोई स्थान निर्धारित नहीं होता। इससे एंबुलेंस चालकों को अक्सर अस्पताल परिसर से बाहर सड़क पर गाड़ी खड़ी करनी पड़ती है। कई बार तो अस्पताल प्रशासन उन्हें कैंपस से जबरन बाहर निकाल देता है। एंबुलेंस चालकों के अनुसार सड़क पर उनकी सबसे अधिक उपेक्षा होती है। बार-बार हूटर बजाने के बावजूद लोग रास्ता नहीं छोड़ते। इससे मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में देरी होती है। ट्रैफिक नियमों के अनुसार एंबुलेंस को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। लेकिन लोग खुद आगे निकलने की होड़ में लगे रहते हैं। रास्ता न मिलने की वजह से यदि मरीज की हालत बिगड़ जाती है या उसकी मौत हो जाती है, तो परिजन सारा दोष एंबुलेंस चालक पर मढ़ देते हैं। कई बार मरीज के परिजन चालक से गाली-गलौज करने लगते हैं। यहां तक कि मारपीट की नौबत आ जाती है।
सुझाव
1. सरकार को चाहिए कि एंबुलेंस पर लगने वाले टैक्स को कम करे।
2. अस्पताल परिसर में एंबुलेंस चालकों के लिए विश्राम और पीने के पानी की उचित व्यवस्था की जाए।
3. ट्रैफिक नियमों को सख्ती से लागू किया जाए, ताकि एंबुलेंस को रास्ता मिले।
4. पुलिस एंबुलेंस चालकों को सहयोग करें और बेवजह उन पर दबाव न बनाए।
5. खाली एंबुलेंस का तेजी से अपने गंतव्य तक पहुंचना भी मरीज की जान बचाने के लिए जरूरी होता है।
शिकायतें
1. एंबुलेंस के रजिस्ट्रेशन में काफी अधिक टैक्स लगता है। इसे कम किया जाना चाहिए।
2. अस्पतालों में एंबुलेंस और चालकों के विश्राम की कोई व्यवस्था नहीं होती।
3. लोग ट्रैफिक नियमों को पालन नहीं करते, जिसके कारण एंबुलेंस परिचालन में परेशानी होती है।
4. पुलिस और आम जनता एंबुलेंस चालकों को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
5. खाली एंबुलेंस को आम वाहनों की तरह तरह देखा जाता है, जबकि एंबुलेंस किसी मरीज को लाने जा रही होती है।
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