अधिकारियों के ढुलमुल रवैया से गैर-मजरुआ जमीन का हो रहा है अतिक्रमण
बिरनी में गैर-मजरुआ जमीन का अतिक्रमण अधिकारियों की लापरवाही के कारण बढ़ रहा है। लोग पहले तंबू और फिर ईंटों से कब्जा करते हैं। सांसद प्रतिनिधि ने अधिकारियों की निष्क्रियता की आलोचना की है। अतिक्रमण...

बिरनी, प्रतिनिधि। अंचल कर्मियों के ढुलमुल रवैए की वजह से प्रखण्ड में गैर-मजरुआ जमीन का अतिक्रमण रुकने का नाम नहीं ले रहा है। गैर-मजरुआ जमीन पर अतिक्रमण करनेवाले लोगों पर अधिकारियों के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं होने से लोगों का मनोबल बढ़ता जा रहा है।
जानकारों ने बताया कि लोग पहले बांस से तंबू बनाकर जमीन का कब्जा करते हैं। फिर एक सप्ताह तक शांत रहते हैं। कोई कारवाई नहीं होती है तो दोबारा एक सप्ताह के बाद उस जमीन पर ईंट गिरा कर छोड़ दिया जाता है। अगले सप्ताह का इंतजार किया जाता है कोई कार्रवाई नहीं होने पर रात-दिन एक कर सामने छोटा घर तैयार कर दिया जाता है। सांसद प्रतिनिधि देवनाथ राणा ने बताया कि अधिकारी ऑफिस से निकलते ही नहीं हैं। क्षेत्र में कहां क्या हो रहा है इसकी जानकारी अधिकारी को कोई पहुंचाता भी है तो अधिकारी उसे कागजों पर ही सलटा लेते हैं। जिसके बाद अधिकारी को लगता है समस्या का समाधान हो गया। हालांकि क्षेत्र में यह समस्या और भी गम्भीर हो जाती है। इसके अलावा अंचल कार्यालय में लगभग कर्मचारियों एवं अधिकारियों का अपना एक बिचौलिया है जो क्षेत्र से पैसे का लेनदेन कर समस्या का समाधान करने का काम करता है।
गैर-मजरुआ जमीन के अतिक्रमण की बात करें तो पूरे प्रखण्ड में लोग सरकारी जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। यह खेल वर्तमान सीओ के कार्यकाल में ज्यादा ही बढ़ गया है। यदि समय रहते इस पर लगाम नहीं लगा तो पूरे क्षेत्र में विवाद का कारण गैर-मजरुआ जमीन है। सिर्फ पिछले एक महीने की बात करें तो अस्पताल में मारपीट के मामले और थाना में आवेदनों से आंकड़ा निकल जाएगा कि किस तरह जमीन विवाद बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि अधिकारी गैर-मजरुआ जमीन के अतिक्रमण को रोकने के लिए अविलम्ब टीम तैयार कर रोकें एवं सम्बंधित लोगों पर प्राथमिकी दर्ज करें। सांसद प्रतिनिधि राणा ने बताया कि अधिकारी को सूचना मिलने के बाद भी कोई कारवाई नहीं होती है। सोमवार को एक स्थान पर नींव खोदी गयी थी। मंगलवार को चार लोगों ने नींव खोद दी। अधिकारियों के द्वारा कार्रवाई नहीं होता है तो अतिक्रमण करनेवालों का मनोबल बढ़ जाता है।
सरकारी रोक के बावजूद हो रहा है अतिक्रमण जानकारी के अनुसार अरारी मौजा अंतर्गत डबरसैनी पहाड़ के नीचे 103 एकड़ 50 डिसमिल जमीन पर किसी भी प्रकार से जोत कोड़ सहित खेतीबारी करने पर सरकारी रोक है। बावजूद लोग जमीन का अतिक्रमण कर मकान बना रहे हैं और अधिकारी एवं कर्मचारी मौन हैं। 21 मार्च 2024 को तत्कालीन सीओ सारांश जैन ने आम इश्तेहार निकाल कर उक्त जमीन पर निषेधाज्ञा लगाई थी। इश्तेहार में कहा गया था कि संबंधित जमीन सरकारी है। सर्वे खतियान के अनुसार किस्म जंगल-झाड़, पहाड़-पठार दर्ज है। इस जमीन को अतिक्रमण करने का किसी का अधिकार नहीं है। साथ ही जमीन पर किसी के द्वारा निर्माण कार्य करने या फिर ट्रेंच काटने पर उसके विरुद्ध 188 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। हालांकि यह इश्तेहार कागज पर ही रह गया। इश्तेहार का 10 प्रतिशत भी अनुपालन नहीं हुआ। ऐसा कहा जा सकता है क्योंकि इश्तेहार के बगल ही घर बना गया और चापाकल भी लग गया। इस सम्बंध में अधिकारियों का कहना है कि घर बन गया। अब वरीय अधिकारी का आदेश लेकर इसे तोड़ा जाएगा। इस सम्बंध में राजस्व कर्मचारी पंचानन्द राय ने बताया कि आज ही हमने निर्माण कर रहे घरों को तोड़ा है। हमेशा क्षेत्र में रहना मुश्किल होता है क्योंकि ऑफिस का भी काम करना रहता है। कहीं से कोई सूचना मिलती है तो उसे अवश्य तोड़ा जाता है एवं कार्रवाई की जाती है। वहां कौन घर बना रहा है इसकी सूचना नहीं मिल पा रही है। सूचना मिलते ही सम्बंधित लोगों पर प्राथमिकी की जाएगी।
क्या कहते हैं सीओ :
सीओ ने कहा कि कुछ जगहों पर आज निर्माण कर रहे घरों को तोड़ा गया है। जल्द ही जेसीबी मशीन की सहायता से सभी स्थानों में अतिक्रमण मुक्त किया जाएगा। सम्बंधित लोगों को नोटिस देकर अतिक्रमण खाली करने का नोटिस दिया गया है।
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