किताब की आस में सरकारी स्कूल के बच्चे
हजारीबाग प्रतिनिधि। जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे क्लास में किताब की आस में बैठे रहते है। शिक्षकों से किताब को लेकर तरह तरह प्रश्न भी पू

हजारीबाग प्रतिनिधि। जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे क्लास में किताब की आस में है। शिक्षकों से किताब को लेकर तरह तरह प्रश्न भी पूछते हैं। इसे लेकर शिक्षकों के पास आश्वासन देने के कोई ठोस जवाब नहीं होता है। यह पहला मौका नहीं जब सत्र शुरू होने से पहले बच्चों को किताब नहीं मिली। किताब के लिए बच्चों को एक माह से अधिक का इंतजार करना पड़ता हैं। किताब का सेट मिलने में तो कई माह लग जाता है। क्लास एक से 12वीं तक के बच्चों को सरकार की ओर से नि:शुल्क किताब मिलती है। सरकारी स्कूलों में चलने वाली किताबें बाजार में नहीं बिकती है। ऐसे में बच्चों को किताब के लिए सरकार पर ही निर्भर होना पड़ता हैं। जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग दो लाख बच्चे किताब के लिए पूरी तरह सरकार पर ही निर्भर हैं। बिना किताब के ही शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे है। बच्चों का कहना है कि नया किताब मिलने से पढ़ने को लेकर उत्साह बढ़ता हैं। किताब नहीं मिलने से अभिभावक भी परेशान है। अभिभावकों का कहना है कि रिजल्ट निकलने के बाद ही बच्चों को किताबें मिल जाना चाहिए था। बिना किताब के एक दो माह गुजर जाता है। इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ता हैं। शिक्षकों का कहना है कि पुरानी किताब से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। किताब कब मिलेगी, इसे लेकर कोई सूचना नहीं दी गई है। हालांकि शिक्षकों ने उम्मीद जताई की इस माह में किताब मिलने की संभावना है।
क्या कहते है पदाधिकारी
जिले में किताबें दो चार दिनों के अंदी आने की उम्मीद हैं। पहले बीआरसी में किताब आएगा। इसके बाद इसे स्कूलों में भेज दिया जाएगा।
कौशल किशोर, एडीपीओ, झारखंड शिक्षा परियोजना।
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