देश को धर्मांतरण से बचाने के लिए चाहिए सख्त कानून : अश्विनी उपाध्याय
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि भारत को लव जिहाद, लैंड जिहाद और धर्मांतरण जिहाद जैसी समस्याओं से मुक्त करने के लिए सख्त कानूनों की आवश्यकता है। उन्होंने औपनिवेशिक कानूनों...

भारत को लव जिहाद, लैंड जिहाद और धर्मांतरण जिहाद जैसी गंभीर समस्याओं से मुक्त करने के लिए सख्त और व्यावहारिक कानूनों की आवश्यकता है। ये बातें सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने शनिवार को बिष्टूपुर में आयोजित फ्रेंड्स ऑफ ट्राइबल सोसाइटी (एफटीएस), जमशेदपुर चैप्टर की बैठक में बतौर मुख्य अतिथि कहीं। उन्होंने कहा कि यदि भारत को वास्तव में एक सुरक्षित और सशक्त राष्ट्र बनाना है तो इसके लिए सबसे पहले औपनिवेशिक काल से चले आ रहे अप्रासंगिक कानून में संशोधन जरूरी है। उन्होंने सिंगापुर और जापान जैसे देशों के कानून का उदाहरण देते हुए भारत में वैज्ञानिक और व्यावहारिक विधि व्यवस्था लागू करने की आवश्यकता बताई।
उपाध्याय ने कहा कि कानून में बदलाव केवल दो ही स्थानों से संभव है संसद और सुप्रीम कोर्ट। सुप्रीम कोर्ट में तो हम पहले से ही संघर्ष कर रहे हैं, अब जरूरत है कि संसद में भी यह आवाज उठे। कार्यक्रम में शंखनाद फार सुरक्षित भारत विषय पर विशेष प्रस्तुति दी गई, जिसमें जनजातीय क्षेत्रों में सुरक्षा एवं सशक्तीकरण के प्रयासों को रेखांकित किया गया। एकल आंदोलन सत्र में मनमोहन खंडेलवाल और सुनील बागड़ोदिया ने दूरस्थ गांवों में एक शिक्षक, एक विद्यालय मॉडल पर आधारित शैक्षिक प्रयासों की जानकारी दी। इस अवसर पर प्रतिष्ठित दाताओं को सम्मानित किया गया। चैप्टर अध्यक्ष राजेश मित्तल ने स्वागत भाषण दिया, जबकि सचिव अभिषेक गर्ग ने वार्षिक रिपोर्ट और कोषाध्यक्ष संजय गोयल ने लेखा-जोखा प्रस्तुत किया। महिला समिति की अध्यक्ष नीलम केडिया ने किरण देबुका को पदभार सौंपा, एवं सचिव ममता बाकरेवाल ने समिति की वार्षिक गतिविधियां साझा कीं।
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