Sacred Ritual of Devsnan Purnima at Jagannath Temple in Ramgarh Prepares for Annual Rath Yatra भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा 15 दिनों के लिए चले जाएंगे अज्ञातवास में, Ramgarh Hindi News - Hindustan
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भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा 15 दिनों के लिए चले जाएंगे अज्ञातवास में

रामगढ़ जिले के कैथा स्थित प्राचीन श्री जगन्नाथ मंदिर में देवस्नान पूर्णिमा का पवित्र अनुष्ठान मंगलवार को संपन्न हुआ। इस रस्म के बाद भगवान 15 दिनों के लिए अज्ञातवास में जाएंगे। पुजारी ने बताया कि भगवान...

Newswrap हिन्दुस्तान, रामगढ़Tue, 10 June 2025 01:55 AM
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भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा 15 दिनों के लिए चले जाएंगे अज्ञातवास में

रामगढ़, निज प्रतिनिधि । रामगढ़ जिले के कैथा स्थित प्राचीन श्री जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के लिए देवस्नान पूर्णिमा का पवित्र अनुष्ठान मंगलवार को संपन्न होगा। यह रस्म आगामी भव्य रथ यात्रा से पूर्व का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पारंपरिक आयोजन है, जिसके बाद भगवान 15 दिनों के लिए अज्ञातवास में चले जाएंगे। मंदिर के मुख्य पुजारी डॉक्टर बीएन चटर्जी ने बताया कि देवस्नान पूर्णिमा: एक पवित्र स्नान और अज्ञातवास का आरंभ देवस्नान पूर्णिमा वह शुभ दिन होता है। जब भगवान को उनके गर्भगृह से बाहर लाकर स्नान मंडप पर विराजमान किया जाएगा। कैथा मंदिर में भी, पुरी की परंपरा का अनुसरण करते हुए, भगवान को विधिवत 108 घड़ों के सुगंधित और औषधीय जल से स्नान कराया जाएगा।

यह जल विशेष रूप से औषधीय जड़ी-बूटियों और फूलों से तैयार किया जाता है, जो भगवान को शीतलता प्रदान करने और उन्हें आगामी यात्रा के लिए तैयार करने का प्रतीक है। इस भव्य स्नान के बाद, यह मान्यता है कि अत्यधिक स्नान के कारण भगवान अस्वस्थ हो जाते हैं। इस स्थिति को ज्वर (बुखार) या अस्वस्थता के रूप में देखा जाता है। अतः, भगवान को भक्तों के दर्शन से दूर, एकांतवास में रखा जाता है। इस 15 दिवसीय अवधि को अज्ञातवास कहा जाता है। श्री जगन्नाथ मंदिर सेवा समिति के सचिव संतोष महतो ने अनुष्ठान के महत्व के बारे बताया कि यह पुरातन परंपरा का निर्वहन है और यह अनुष्ठान कैथा के जगन्नाथ मंदिर की वर्षों पुरानी परंपरा है। सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, जो पुरी की मूल परंपरा से जुड़ा है। सेवा समिति के अध्यक्ष हंसपाल महतो (सुदर्शन महतो) ने कहा कि स्नान के उपरांत, भगवान गजवेष (हाथी का रूप) में भक्तों को दर्शन देंगे, जो एक अत्यंत दुर्लभ और आकर्षक रूप है। इसके दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु कैथा मंदिर पहुंचते हैं। भगवान 11 जून से 25 जून तक अज्ञातवास में रहेंगे। इस अवधि में मंदिर के पट भक्तों के लिए बंद नहीं होते, लेकिन गर्भगृह में भगवान के दर्शन नहीं होंगे। अज्ञातवाश समाप्ति के बाद 25 जून को नेत्रोत्सव का अनुष्ठान होगा। जिसमें भगवान की नई आँखें बनाई जाती हैं और वे पूर्ण स्वस्थ होकर पुनः भक्तों को दर्शन देने के लिए तैयार होते हैं। 26 जून, को, कैथा स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर से वार्षिक भव्य रथ यात्रा का शुभारंभ होगा। यह यात्रा पुरी की परंपरा का ही अनुकरण है, जहाँ भगवान अपने विशाल रथ पर सवार होकर मौसीबाड़ी जाते हैं।

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