तुलसी का आध्यात्मिक और औषधीय गुण हर घर के लिए जरूरी : रश्मि
महादानी मैदान में नवनिर्मित दशभुजी मां दुर्गा देवी मंदिर में शतचंडी महायज्ञ के आठवें दिन श्रद्धालुओं ने देवी-देवताओं की पूजा की। कथा वाचिका ने तुलसी विवाह के महत्व पर प्रकाश डाला। रविवार को मां दुर्गा...

बेड़ो, प्रतिनिधि। महादानी मैदान में नवनिर्मित दशभुजी मां दुर्गा देवी मंदिर परिसर में आयोजित शतचंडी महायज्ञ के आठवें दिन शनिवार को श्रद्धालुओं ने सभी देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की। इस दौरान विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान यज्ञाचार्य ने यजमानों से पूरा कराया। वहीं शाम में कथा वाचिका देवी रश्मि किशोरी ने कहा कि हर घर में तुलसी होना जरूरी है। तुलसी में अध्यात्म और औषधीय दोनों गुण हैं। भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम और माता तुलसी के मिलन का पर्व तुलसी विवाह हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। शाम के समय तुलसी चौरा यानी तुलसी के पौधे के पास गन्ना का मंडप बनाकर उसमें साक्षात नारायण स्वरूप शालिग्राम की मूर्ति रखते हैं। फिर विधि-विधानपूर्वक उनके विवाह को संपन्न कराते हैं। तुलसी विवाह कथा श्रीमद् देवी भागवत पुराण के अनुसार एक बार सृष्टि के कल्याण के लिए भगवान विष्णु ने असुर राज जलंधर की पत्नी वृंदा के सतीत्व को भंग कर दिया। इस पर सती वृंदा ने उन्हें श्राप दे दिया और भगवान विष्णु पत्थर बन गए। इसी श्राप से मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु को अपने शालिग्राम स्वरूप में तुलसी से विवाह करना पड़ा था और उसी समय से तुलसी विवाह की यह रस्म मनाई जाती है।
आज निकलेगी मां दुर्गा की नगर भ्रमण शोभायात्रा
दशभुजी मां देवी दुर्गा मूर्ति की स्थापना के लिए रविवार को स्नान के बाद वस्त्र धारण कराकर देवी दर्शन के लिए शोभा यात्रा निकाली जाएगी। इसके बाद मां दुर्गा की प्रतिमा के दर्शन के बाद उन्हें शाम को शयन अधिवास पर रखा जाएगा। वहीं सोमवार को प्रात:काल से आदि शक्ति मां जगदंबा की मूर्ति की स्थापना हेतु धार्मिक अनुष्ठान शुरू होगा।
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