नकली मरी हुई मां और अनुकंपा पर असली सरकारी नौकरी, MP में चौंकाने वाला नियुक्ति घोटाला
मध्य प्रदेश में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। एक आदमी ने एक अनजान महिला की मौत का दावा कर उसे अपनी मां बताया और अनुकंपा पर सरकारी नौकरी ले ली। मामला सामने के आने के बाद जब जांच की गई तो ऐसी 5 और नियुक्तियां सामने आईं, जो फर्जी दस्तावेज के आधार पर ली गई थीं।

मध्य प्रदेश में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। एक आदमी ने एक अनजान महिला की मौत का दावा कर उसे अपनी मां बताया और अनुकंपा पर सरकारी नौकरी ले ली। मामला सामने के आने के बाद जब जांच की गई तो ऐसी 5 और नियुक्तियां सामने आईं, जो फर्जी दस्तावेज के आधार पर ली गई थीं।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश के रीवा जिला शिक्षा कार्यालय में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। एक आदमी ने शिक्षा विभाग में कभी काम न करने वाली एक महिला की मौत का झूठा दावा दिया। उसके बाद उसका बेटा होने का झूठा दावा करके अनुकंपा पर सरकारी नौकरी हासिल कर ली।
त्योंथर तहसील के परसिया गांव निवासी शिवचरण कोल के पुत्र बृजेश कोल के रूप में पहचाने गए इस आदमी ने जाली दस्तावेज पेश करते हुए दावा किया कि उसकी मां सहायक शिक्षिका बेला कली कोल की मौत हो गई है। उसने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर गंगेव ब्लॉक के जौदोरी स्थित सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में चपरासी की नौकरी ले ली। हैरान करने वाली बात यह है कि बेला कली कोल ने कभी शिक्षा विभाग में काम नहीं किया और बृजेश का उससे कोई रिश्ता भी नहीं है।
यह घोटाला नियमित सत्यापन के दौरान सामने आया जब स्कूल प्रिंसिपल ने वेतन प्रक्रिया के दौरान दस्तावेजों में विसंगतियों की सूचना दी। इसके बाद हुई जांच में बृजेश की नियुक्ति रद्द कर दी गई। मामला सामने आने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी सुदामा गुप्ता ने तत्काल तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की। इसके बाद पांच और फर्जी नियुक्तियों का खुलासा हुआ। इनमें ओम प्रकाश कोल, सुषमा कोल, विनय रावत, हीरामणि रावत और रमा द्विवेदी शामिल थे। तिघरा, बीदा, अटरिया, सेमरिया और गंगेव जैसे विभिन्न ब्लॉकों में ये सभी नियुक्तियां फर्जी दस्तावेजों के आधार पर की गई थीं।
कलेक्टर प्रतिभा पाल के अनुसार बृजेश कोल द्वारा पेश किए गए जाली दस्तावेज मृत्यु प्रमाण पत्र, पुलिस सत्यापन और हलफनामे पूरी तरह से असली लग रहे थे। लेकिन, जांच करने पर सभी फर्जी निकलीं। डीईओ ने पुष्टि की कि पिछले साल 36 अनुकंपा नियुक्तियां की गई थीं। नियुक्त किए गए 10 लोगों ने अपने दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए आधिकारिक नोटिस का जवाब नहीं दिया। बारीकी से जांच करने पर पता चला कि उनमें से पांच ने जाली कागजात का इस्तेमाल किया था। अब इस मामले में जिम्मेदार क्लर्क सहित छह लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है।
कलेक्टर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए दोषी क्लर्क को सस्पेंड करने तथा जांच अधिकारी और डीईओ दोनों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि बिना उचित प्रक्रिया अपनाए नियुक्ति दी गई। डीईओ और संबंधित नोडल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव उच्च अधिकारियों को भेजा गया है।
रीवा की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आरती सिंह ने बताया कि सिविल लाइंस थाने में धोखाधड़ी और जालसाजी से संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। फर्जी नियुक्तियां दिसंबर 2024 से अप्रैल 2025 तक की हैं। इन मामलों में इस्तेमाल किए गए दस्तावेज पूरी तरह से फर्जी थे।