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अल्पसंख्यक संस्थानों पर नहीं थोप सकते ऐसे GR, फड़णवीस सरकार के फैसले पर हाई कोर्ट क्यों गरम

हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की वकील से कहा कि हो सकता है कि अनजाने में भूल हो गई हो, इसलिए आप सरकार से निर्देश लेकर आइए और इस आदेश में संशोधन कीजिए। कोर्ट ने पूछा कि बार-बार ऐसी नौबत क्यों आती है?

Pramod Praveen पीटीआई, मुंबईWed, 11 June 2025 08:15 PM
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अल्पसंख्यक संस्थानों पर नहीं थोप सकते ऐसे GR, फड़णवीस सरकार के फैसले पर हाई कोर्ट क्यों गरम

बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार के उस प्रस्ताव (GR) के औचित्य पर सवाल उठाया है, जिसमें राज्य के अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को जूनियर कॉलेज के प्रथम वर्ष अर्थात ग्यारहवीं कक्षा में प्रवेश प्रक्रिया शुरू करते समय संवैधानिक और सामाजिक आरक्षण लागू करने का निर्देश दिया गया है। जस्टिस एम एस कार्णिक और जस्टिस एन आर बोरकर की पीठ ने सरकारी वकील नेहा भिड़े से इस बारे में सरकार से निर्देश लेने को कहा कि क्या सरकार छह मई को जारी जीआर में संबंधित खंड को वापस लेने या शुद्धिपत्र जारी करने के लिए तैयार है या नहीं?

पीठ ने भिड़े से कहा, ‘‘आप (सरकार) अल्पसंख्यक संस्थानों को जीआर के दायरे में क्यों लेकर आए? अल्पसंख्यक संस्थानों को इससे तो छूट मिली हुई है। आप इसे बाहर करें। हर बार आपको अदालत के आदेश की जरूरत क्यों पड़ती है? इसे वापस लेना या शुद्धिपत्र जारी करना मुश्किल नहीं है।’’ पीठ ने वकील से राज्य सरकार से निर्देश लेने को कहा। पीठ ने कहा कि यह सरकार की अनजाने में की गई गलती हो सकती है और इसके लिए शुद्धिपत्र जारी किया जा सकता है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई बृहस्पतिवार के लिए निर्धारित की।

अल्पसंख्यक संस्थानों को मिली हुई है छूट

अल्पसंख्यक न्यासों द्वारा संचालित जूनियर कॉलेज के प्रथम वर्ष अर्थात ग्यारहवीं कक्षा में दाखिले के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण के कार्यान्वयन का निर्देश देने वाले जीआर को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि ऐसे सहायता प्राप्त या गैर-सहायता प्राप्त संस्थान सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण लागू करने के दायरे से संविधान के अनुच्छेद 15(5) के तहत बाहर हैं।

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2019 में भी जारी किया गया था ऐसा ही GR

याचिकाओं में दावा किया गया है कि अनुच्छेद 30(1) के तहत अल्पसंख्यक संस्थान शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन कर सकते हैं। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि 2019 में भी इसी तरह का जीआर जारी किया गया था, लेकिन अदालत में चुनौती दिए जाने के बाद इसे वापस ले लिया गया था।