झूठ फैला रहे अमित शाह; परिसीमन को लेकर गृहमंत्री के आश्वासन पर सिद्धारमैया का तंज
- कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने गृहमंत्री अमित शाह के ऊपर तंज कसा है। सिद्धारमैया ने कहा कि गृहमंत्री के पास या तो अधूरी जानकारी है या फिर वह झूठी बातें फैला रहे हैं। दरअसल, गृहमंत्री ने परिसीमन को लेकर कहा था कि इसके जरिए दक्षिण की एक भी सीट कम नहीं की जाएगी।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर निशाना साधा। कर्नाटक सीएम ने गृहमंत्री की आलोचना करते हुए कहा कि अमित शाह ने परिसीमन को लेकर दक्षिणी राज्यों को जो भरोसा देने की कोशिश की है, वह भ्रामक है। सीएम ने कहा कि हो सकता है कि होम मिनिस्टर के पास सटीक जानकारी की कमी हो, लेकिन अगर हमारे गृहमंत्री के पास ही सटीक जानकारी का अभाव है तो यह चिंता की बात है।
दरअसल, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कोयंबटूर में एक रैली के दौरान कहा, "मैं दक्षिण भारत के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आपके हित को ध्यान में रखा है और यह सुनिश्चित करेंगे कि दक्षिण की एक भी सीट कम न हो। और जो भी वृद्धि होगी, दक्षिणी राज्यों को उचित हिस्सा मिलेगा, इसमें संदेह करने का कोई कारण नहीं है।"
आपको बता दें कि अभी तक लोकसभा सीटों का आधार 1971 की जनसंख्या को माना जाता है। लेकिन अब जबकि नया परिसीमन होना है तो ऐसे में दक्षिण भारत की स्थानीय पार्टियों को डर है कि जनसंख्या के आधार पर अगर सीटों का बंटवारा किया गया तो उनकी सीटें कम हो जाएंगी।
गृहमंत्री अमित शाह का परिसीमन को लेकर यह बयान ऐसे समय में आया है, जब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने परिसीमन और इसके प्रभावों को लेकर एक विशाल बैठक बुलाई है। दक्षिणी राज्यों को यह चिंता है कि अगर 2021 या 2031 की जनगणना के आधार पर परिसीमन किया गया तो दक्षिण की तुलना में उत्तर को ज्यादा महत्व मिलेगा।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने कहा कि दक्षिण के राज्यों ने परिवार नियोजन कार्यक्रम का सफल कार्यान्वयन किया था। इसी के आधार पर हम अपनी जनसंख्या को नियंत्रण में रख पाए। लेकिन अगर अब इसी आधार पर परिसीमन होता है तो हमारे राज्य हार जाएंगे। दूसरी तरफ सिद्दारमैया ने कहा कि ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार परिसीमन का उपयोग करके केंद्र में दक्षिण के राज्यों के प्रभुत्व को कम करना चाहती है।
आपको बता दें कि आजाद भारत के इतिहास में अभी तक चार बार(1952,1963,1973 और 2002) परिसीमन हो चुका है। 1981 और 1991 की जनगणना के आधार पर परिसीमन नहीं किया गया है। क्योंकि तब भी दक्षिणी राज्यों ने जनसंख्या के आधार पर इसका विरोध किया था। इसके बाद आखिरी परिसीमन भी 1971 की जनसंख्या के आधार पर ही हुआ था।