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पीएम मोदी ने 1857 की क्रांति से की महाकुंभ की तुलना, बोले- सवाल उठाने वालों को जवाब मिला

  • पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के आयोजन की संसद में सराहना की और कहा कि इससे देश की एकता का संदेश मिला है। यही नहीं उन्होंने कहा कि महाकुंभ भारत के इतिहास में ऐसा ही क्षण था, जैसा 1857 की क्रांति, भगत सिंह का बलिदान और गांधी का डांडी मार्च था।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 18 March 2025 12:27 PM
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पीएम मोदी ने 1857 की क्रांति से की महाकुंभ की तुलना, बोले- सवाल उठाने वालों को जवाब मिला

पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के आयोजन की संसद में सराहना की और कहा कि इससे देश की एकता का संदेश मिला है। यही नहीं उन्होंने कहा कि महाकुंभ भारत के इतिहास में ऐसा ही क्षण था, जैसा 1857 की क्रांति, भगत सिंह का बलिदान और गांधी का डांडी मार्च था। इन घटनाओं ने देश को एक नया मोड़ दिया और ऐसा ही महाकुंभ के विशाल आयोजन से भी हुआ है। पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं यूपी और खासतौर पर प्रयाग की जनता का आभार व्यक्त करता हूं। गंगाजी को धरती पर लाने के लिए भगीरथ प्रयास हुआ था। ऐसा ही महाप्रयास महाकुंभ के भव्य आयोजन में भी हमने देखा है। मैंने लालकिले से सबका प्रयास पर जोर दिया था। पूरे विश्व ने भारत के विराट स्वरूप के दर्शन किए। सबका प्रयास का यही साक्षात स्वरूप है।’

उन्होंने कहा कि महाकुंभ ने उन शंकाओं को भी जवाब दिया है, जो कुछ लोगों के मन में रहती है। अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर हमने देखा था कि कैसे देश अगले एक हजार साल के लिए तैयार हो रहा है। फिर इस बात को हमने महाकुंभ में देखा। किसी भी राष्ट्र के जीवन में अनेक ऐसे मोड़ आते हैं, जो सदियों के लिए उदाहरण बन जाते हैं। हमारे देश के इतिहास में भी ऐसे पल आए हैं, जिन्होंने नई दिशा दी या झकझोर कर सबको जागृत कर दिया। हमने देखा कि भक्ति आंदोलन के दौर में कोने-कोने में आध्यात्मिक चेतना हो गई। स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में जो भाषण दिया, वह भारत की चेतना का जयघोष हो। ऐसा ही स्वतंत्रता संग्राम में भी हुआ। 1857 की क्रांति, सुभाष जी का दिल्ली चलो का नारा और गांधी जी का डांडी मार्च। इन सबने हमें प्रेरणा दी।

‘त्रिवेणी का जल लेकर मॉरीशस गया तो उत्सव जैसा माहौल था’

प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे ही मैं महाकुंभ को देखता हूं। हमने करीब डेढ़ महीने तक उत्साह देखा और लोगों की उमंग को महसूस किया। करोड़ों लोग सुविधा और असुविधा के भाव से ऊपर उठते हुए श्रद्धा से जुटे। यह उमंग और उत्साह यहीं तक सीमित नहीं थी। बीते सप्ताह मैं मॉरीशस में था। मैं महाकुंभ के समय का जल त्रिवेणी से लेकर गया था। उस जल को जब मॉरीशस के गंगा तालाब में अर्पित किया गया तो वहां आस्था और उत्सव का माहौल देखते ही बन रहा था। भारत का युवा आज अपनी आस्था को गर्व के साथ अपना रहा है। जब एक समाज की भावनाओं में अपनी विरासत पर गर्व का भाव बढ़ता है तो हम ऐसी ही तस्वीरें देखते हैं, जो महाकुंभ के दौरान आईं। इससे भाईचारा बढ़ता है।

हर भाषा के लोग संगम पर बोले- हर हर गंगे और लगाई डुबकी

लोकसभा में पीएम ने कहा कि यह विश्वास होता है कि हम एक देश के रूप में बड़े लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। यहां पहुंचे लोग अहं त्याग कर वयं के भाव में आ गए। मैं नहीं हम के भाव में आए। अलग-अलग राज्यों से आए लोग त्रिवेणी का हिस्सा बने। जब करोड़ों लोग राष्ट्रीयता के भाव को मजबूती देते हैं तो देश की एकता बढ़ती है। जब हर भाषा के लोग संगम तट पर हर हर गंगे का उद्घोष करते हैं तो एकता की भावना बढ़ती है। हमने देखा कि वहां छोटे-बड़े का कोई भेद नहीं था। यह भारत का बहुत बड़ा सामर्थ्य है। एकता की यही भावना भारतीयों का सौभाग्य है। आज पूरे विश्व में बिखराव की स्थिति है और ऐसे में हमारी एकजुटता बड़ी ताकत है। उन्होंने कहा कि हमें कुंभ से प्रेरणा लेते हुए नदी उत्सव के कार्यक्रम को नया स्वरूप देना होगा। इससे नई पीढ़ी को जल और नदी का महत्व समझ आएगा। नदियों की साफ-सफाई के लिए लोगों को प्रेरणा मिलेगी।