'एक देश-एक पति' के बाद भगवंत मान का नया हमला, कहा- जंग जीतने के बाद सरकार को...
एक देश-एक पति वाले बयान से सियासी बवाल लाने के बाद पंजाब सीएम भगवंत मान ने भाजपा पर नया हमला बोला है। उन्होंने कहा कि जंग जीतने के बाद भी सरकार को दुनिया भर में समय बिताना पड़ रहा है।

'घर-घर सिंदूर' अभियान और 'वन नेशन, वन हसबैंड' जैसी टिप्पणियों को लेकर उठे सियासी बवाल के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक बार फिर भाजपा पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि “पहली बार ऐसा हो रहा है कि जंग जीतने के बाद सरकार को दुनिया भर में जाकर बताना पड़ रहा है कि हमने जीत दर्ज की है।”
"पाकिस्तान की भाषा बोलने" के आरोप पर पलटवार
भगवंत मान ने कहा कि उन्हें पाकिस्तान की भाषा बोलने का आरोप झेलना पड़ रहा है, जबकि असल में सवाल यह है कि सरकार ने ‘घर-घर सिंदूर’ बांटने जैसी योजना आखिरकार वापस क्यों ली? उन्होंने कहा, “अगर यह देशभक्ति थी तो योजना क्यों वापस ली गई?”
विदेश मंत्री और CDS के बयानों पर भी सवाल
मुख्यमंत्री ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) के बयानों को लेकर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, “हमारे CDS सिंगापुर जाकर बता रहे हैं कि पाकिस्तान के साथ युद्ध में हमारे लड़ाकू विमान गिरे। विदेश मंत्री कह रहे हैं कि हमने पाकिस्तान को पहले ही बता दिया था कि हम आतंकी ठिकानों पर ही हमला करेंगे, मिलिट्री ठिकानों पर नहीं। क्या ऐसा बताने के बाद पाकिस्तान ने अपने आतंकियों को हटा नहीं लिया होगा?”
'सिंदूर' पर बयान से मचा विवाद
एक दिन पहले चंडीगढ़ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में भगवंत मान ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा था कि “क्या आप मोदी जी के नाम का सिंदूर लगाएंगे? बीजेपी हर घर में सिंदूर भेज रही है, क्या यह 'एक राष्ट्र, एक पति' योजना है?” उन्होंने आरोप लगाया था कि भाजपा 'ऑपरेशन सिंदूर' के नाम पर वोट मांग रही है।
भाजपा का पलटवार: "शहीदों का अपमान"
केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने भगवंत मान के बयान को शहीदों का अपमान करार देते हुए तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि "ऑपरेशन सिंदूर" उस सैन्य अभियान का नाम है जो आतंकियों के खिलाफ चलाया गया, और मान ने इसका मज़ाक उड़ाकर शहीदों की विधवाओं का अपमान किया है। भाजपा ने इस बयान के लिए माफी की मांग करते हुए मुख्यमंत्री के इस्तीफे की भी बात कही।
इस पर पलटवार करते हुए भगवंत मान ने कहा कि रवनीत बिट्टू अपने ‘आकाओं’ से पूछें कि अगर 'घर-घर सिंदूर' योजना इतनी सम्मानजनक थी तो उसे वापस क्यों लिया गया?
रिपोर्ट: मोनी देवी