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प्राइवेट कॉलेजों में भी मिले SC, ST और ओबीसी आरक्षण, कांग्रेस ने उठाई मांग; खुद किया था किनारा

  • दिलचस्प बात यह है कि करीब 20 साल पहले ही यह मामला आया था और संविधान में संशोधन के बाद भी तत्कालीन यूपीए-1 सरकार इससे पीछे हट गई थी। इस सरकार का नेतृत्व कांग्रेस की ओर से ही किया जा रहा था। यूपीए सरकार के दौर में ही संविधान में 93वां संशोधन हुआ था, जिसमें आर्टिकल 15(5) लाया गया था।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 1 April 2025 09:30 AM
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प्राइवेट कॉलेजों में भी मिले SC, ST और ओबीसी आरक्षण, कांग्रेस ने उठाई मांग; खुद किया था किनारा

कांग्रेस ने प्राइवेट शिक्षण संस्थानों में भी जातिगत आरक्षण देने की मांग उठाई है। कांग्रेस की संचार सेल के प्रमुख जयराम रमेश ने सोमवार को यह डिमांड की। उन्होंने संसदीय समिति की सिफारिश का समर्थन करते हुए यह मांग की, जिसमें कहा गया है कि संविधान के आर्टिकल 15(5) के तहत निजी संस्थानों में भी ओबीसी, एससी और एसटी वर्ग को आरक्षण दिया जाए। दिलचस्प बात यह है कि करीब 20 साल पहले ही यह मामला आया था और संविधान में संशोधन के बाद भी तत्कालीन यूपीए-1 सरकार इससे पीछे हट गई थी। इस सरकार का नेतृत्व कांग्रेस की ओर से ही किया जा रहा था। यूपीए सरकार के दौर में ही संविधान में 93वां संशोधन हुआ था, जिसमें आर्टिकल 15(5) लाया गया था।

यूपीए सरकार ने 2006 में इस प्रावधान के तहत सेंट्रल एजुकेशन इंस्टिट्यूशंस ऐक्ट पारित किया था। इसके जरिए सरकारी उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू किया गया था, लेकिन निजी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। जयराम रमेश ने कहा कि 2008 में इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हुई थी, जिसने इसे बरकरार रखा था। अदालत ने यह भी कहा था कि निजी गैर-सहायता प्राप्त संस्थानों में दाखिले पर आरक्षण के सवाल पर भी विचार किया जा सकता है। अब लगभग दो दशक बाद कांग्रेस ने फिर से यह मांग उठाई है कि निजी संस्थानों में दाखिले पर आरक्षण लागू हो, जिस पर उसने अपने दौर में चुप्पी साध ली थी।

कांग्रेस ने बयान जारी करते हुए कहा कि अदालत के फैसले से साफ है कि एससी, एसटी और ओबीसी समाज के लोगों को संवैधानिक तौर पर निजी संस्थानों में आरक्षण मिल सकता है। बता दें कि 2024 के आम चुनाव में भी कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में इस आरक्षण का वादा किया था। अब संसदीय समिति ने भी ऐसे ही आरक्षण की सिफारिश की है तो उस मांग को कांग्रेस ने फिर तेज किया है। इस समिति का नेतृत्व कांग्रेस के सांसद दिग्विजय सिंह कर रहे हैं। फिलहाल देश के किसी भी निजी शिक्षण संस्थान में जातिगत आरक्षण लागू नहीं है। हालांकि जानकार मानते हैं कि अकेले आर्टिकल 15 (5) के भरोसे ही आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता। ऐसा करने के लिए एक और कानून की जरूरत है, जो इसका समर्थन करे।

दरअसल 2002 में एक केस की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शैक्षणिक संस्थान स्थापित करना मूल अधिकार है। इसके अलावा यह भी संस्थान का अधिकार है कि वह तय करे कि प्रवेश प्रक्रिया क्या होगी। जानकार मानते हैं कि जिस तरह से देश में स्तरीय निजी विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़ी है, उसे देखते हुए वंचित वर्ग के बच्चों को भी दाखिले में प्राथमिकता दी जाए। इसकी जरूरत है। फिलहाल कांग्रेस की मांग पर केंद्र सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।