ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि.. भारत-पाक में मध्यस्थता वाले ट्रंप के दावे पर शशि थरूर की सीधी बात
Operation sindoor: कांग्रेस सांसद शशि थरूर का कहना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच में मध्यस्थता जैसा कुछ हो ही नहीं सकता। क्योंकि भारत और पाकिस्तान बराबर है ही नहीं.. एक देश आतंकवाद को पनाह देता है, जबकि दूसरा देश समृद्ध लोकतंत्र है।

Shashi Tharoor operation sindoor: ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारत का पक्ष रखने और आतंकवाद पर पाकिस्तान की पोल खोलने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ विदेश गए शशि थरूर ने अपना डंका हर देश में बजवा दिया है। अपनी इस यात्रा के दौरान थरूर ने न्यूयॉर्क की धरती के अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के उस दावे की हवा निकाल दी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाने के लिए अमेरिका प्रशासन ने मध्यस्थता की है।
न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम में मीडिया से बात करते हुए थरूर ने मध्यस्थता के दावे को खारिज करते हुए कहा, "असमान लोगों में कोई बातचीत नहीं हो सकती.. खासतौर पर ऐसे समय में जबकि एक पक्ष में आतंकवाद हो और दूसरे पक्ष में आतंकवाद से पीड़ित लोग।"
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक थरूर ने कहा, "मध्यस्थता एक ऐसा शब्द है, जिसे हम विशेष रूप से स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। मैं आपको बताता हूं कि ऐसा क्यों नहीं हो सकता। फैक्ट यह है कि आप ऐसे किसी दो देशों के बीच में मध्यस्थता कर सकते हैं जो कि समान हों.. लेकिन इस मामले में ऐसी कोई भी समानता वास्तव में मौजूद है ही नहीं.. एक देश आतंकवाद को सुरक्षा देने वाला है..आतंक को पनाह देने वाला है.. ऐसे देश में और एक समृद्ध बहुदलीय लोकतंत्र के बीच कोई समानता हो ही नहीं सकती।"
आपको बता दें कि कांग्रेस सांसद की यह टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे के बाद आई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने के लिए उन्होंने मदद की थी।
पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति ने 10 मई को घोषणा की थी कि वाशिंगटन की मध्यस्थता और लंबी बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल युद्धविराम के लिए सहमत हो गए हैं। इसके बाद भारत और पाकिस्तान ने युद्धविराम का ऐलान किया था। भारतीय पक्ष ने इस बात का कड़ा विरोध भी किया था। हालांकि ट्रंप को इससे फर्क नहीं पड़ा। 10 मई के बाद से वह इस बात को दर्जनों बार दोहरा चुके हैं कि उन्होंने दो न्यूक्लियर देशों के बीच में तनाव को कम करने में मदद की।