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पुलवामा हमले के बाद चुन-चुनकर मार रहा भारत, मोसाद के नक्शे कदम पर रॉ; ब्रिटिश अखबार का दावा

अधिकारी ने कहा कि भारत ने इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद और रूस की केजीबी से प्रेरणा ली है। इन एजेंसियों के बारे में कहा जाता है कि ये अपने दुश्मनों को विदेशी धरती पर ही खत्म कर देते हैं।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 5 April 2024 12:43 AM
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पुलवामा हमले के बाद चुन-चुनकर मार रहा भारत, मोसाद के नक्शे कदम पर रॉ; ब्रिटिश अखबार का दावा

पाकिस्तान में पिछले कुछ सालों में एक के बाद एक भारत के दुश्मन अचानक गायब हो रहे हैं। अब इसको लेकर एक ब्रिटिश अखबार ने अपनी खबर में चौंकाने वाला दावा किया है। द गार्जियन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऑफिस (PMO) ने पाकिस्तान में आतंकियों की हत्या का आदेश दिया है। रिपोर्ट में भारतीय और पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों के हवाले से ये दावा किया गया है। इसके मुताबिक, भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) ने "विदेशी धरती पर रहने वाले आतंकवादियों को खत्म करने" की रणनीति बनाई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रॉ को सीधे पीएम मोदी के कार्यालय द्वारा कंट्रोल किया जाता है। इसमें ये भी कहा गया है कि रॉ अपनी इजरायली समकक्ष मोसाद के नक्शेकदम पर है। 

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की खुफिया एजेंसी ने कथित तौर पर 2019 के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक अलग दृष्टिकोण अपनाया और विदेशों में हत्याएं करना शुरू कर दिया। बता दें कि यह तीसरी बार है जब भारत पर विदेशी धरती पर लोगों की हत्या या हत्या का प्रयास करने का आरोप लगाया गया है। इससे पहले, कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने दावा किया था कि खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंट शामिल थे। बाद में, अमेरिका ने भी यह दावा किया था कि उन्होंने एक अन्य खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नून की हत्या के प्रयास को विफल कर दिया था।

निशाने पर खालिस्तानी भी

मई 2023 में, खालिस्तान कमांडो फोर्स (KCF) के प्रमुख परमजीत सिंह पंजवार की पाकिस्तान के लाहौर में अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। रिपोर्टों में कहा गया था कि पंजवार भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादियों में से एक था। उसे 30 कैलिबर की पिस्तौल से गोलियों से भून दिया गया। जून 2023 में खालिस्तानी अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की 'कनाडाई धरती' पर हत्या कर दी गई।

गार्जियन की रिपोर्ट में पाकिस्तान पर फोकस किया गया है। इसमें बताया गया है कि कैसे रॉ ने दुबई के रास्ते अपने पड़ोसी देश में आतंकियों का कत्लेआम मचाया है। इसमें दावा किया गया है कि 2020 के बाद से भारत ने अब तक कथित तौर पर 20 से अधिक लोगों को मरवाया है। इससे पहले इन हत्याओं के पीछे भारत का नाम केवल अनौपचारिक तौर पर जोड़ा जाता था, लेकिन यह पहली बार है कि भारतीय खुफिया अधिकारी ने इस पर बात की है। अखबार की मानें तो उसने इन हत्याओं के पीछे रॉ के शामिल होने से संबंधित डॉक्यूमेंट्स देखे हैं। आरोपों से यह भी पता चलता है कि खालिस्तान आंदोलन से जुड़े सिख अलगाववादियों को भी चुन-चुनकर खत्म करने की योजना है और इसे पाकिस्तान के अलावा, पश्चिमी देशों में भी अंजाम दिया जा रहा है।

सफाया कर रहे भारतीय स्लीपर सेल 

रिपोर्ट के मुताबिक, ताजा दस्तावेजों से पता चलता है कि भारत के दुश्मनों को भारतीय खुफिया स्लीपर सेल खत्म कर रही है। ये स्लीपर सेल ज्यादातर संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से ऑपरेट करती है। ये लोग उनका सफाया कर रहे हैं जिन्हें पीएम मोदी के ऑफिस ने भारत का दुश्मन बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्लीपर सेल ने हत्याओं को अंजाम देने के लिए स्थानीय अपराधियों या गरीब पाकिस्तानियों को लाखों रुपये दिए हैं। 2023 के बाद से इन मौतों में बढ़ोतरी देखी गई है। भारतीय एजेंटों ने गोलीबारी को अंजाम देने के लिए कथित तौर पर जिहादियों को भी भर्ती किया।

पुलवामा हमले का असर

द गार्जियन की रिपोर्ट में खुफिया अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि भारत के बाहर मौजूद आतंकवादियों पर रॉ का ध्यान 2019 में पुलवामा हमले से शुरू हुआ था। फरवरी, 2019 में पुलवामा आतंकवादी हमले में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवान शहीद हो गए थे। पाकिस्तान स्थित आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने आत्मघाती हमलावर भेजने की जिम्मेदारी ली थी। इस हमले के बाद 26 फरवरी, 2019 को भारत के युद्धक विमानों द्वारा पाकिस्तान के अंदर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों को निशाना बनाया गया था।

एक भारतीय खुफिया अधिकारी ने गार्जियन को बताया, “पुलवामा के बाद हमारी रणनीति पूरी तरह से बदल गई। अब रणनीति ये है कि देश पर हमले करने से पहले उन्हें बाहर ही निपटा दिया जाए। हम हमलों को रोक नहीं सके क्योंकि अंततः उनके सुरक्षित ठिकाने पाकिस्तान में थे, इसलिए हमें उनके सोर्स तक जाना पड़ा।" उन्होंने कहा, "इस तरह के ऑपरेशन करने के लिए हमें सरकार के उच्चतम स्तर से अप्रूवल की आवश्यकता होती है।"

मोसाद और जमाल खशोगी की हत्या कनेक्शन

खुफिया अधिकारी के अनुसार, 2018 में इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास में सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या कर दी गई थी। इस हत्या ने भारत को भी प्रेरित किया। अधिकारी ने बताया, “जमाल खशोगी की हत्या के कुछ महीने बाद प्रधानमंत्री कार्यालय में खुफिया विभाग के शीर्ष अधिकारियों के बीच इस बात पर बहस हुई थी कि इस मामले से कैसे कुछ सीखा जा सकता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बैठक में कहा कि अगर सउदी ऐसा कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं? सउदी ने जो किया वह बहुत असरदार था। आप न केवल अपने दुश्मन से छुटकारा पाते हैं बल्कि आपके खिलाफ काम करने वाले लोगों को एक भयावह संदेश, चेतावनी भी भेजते हैं। हर खुफिया एजेंसी ऐसा करती रही है। अपने दुश्मनों को खत्म किए बिना हमारा देश मजबूत नहीं हो सकता।” अधिकारी ने कहा कि भारत ने इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद और रूस की केजीबी से प्रेरणा ली है। इन एजेंसियों के बारे में कहा जाता है कि ये अपने दुश्मनों को विदेशी धरती पर ही खत्म कर देते हैं। 

पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी ने कबूला

दो अलग-अलग पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि उन्हें 2020 के बाद से 20 हत्याओं में भारत की संलिप्तता का संदेह है। उन्होंने सात मामलों की ओर इशारा किया जिनमें पूछताछ की गई और इससे संबंधित सबूत जुटाए गए। इसमें गवाहों की गवाही, गिरफ्तारी रिकॉर्ड, वित्तीय विवरण, व्हाट्सएप चैट और पासपोर्ट शामिल हैं। अधिकारियों का कहना है कि सबूत भारत की ओर इशारा कर रहे हैं कि कैसे वह पाकिस्तान में कत्लेआम मचा रहा है।

पाकिस्तानी खुफिया सूत्रों ने दावा किया कि 2023 में टारगेट किलिंग में काफी वृद्धि हुई है, जिसमें भारत पर लगभग 15 लोगों की संदिग्ध मौतों में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। अधिकांश लोगों को अज्ञात बंदूकधारियों ने करीब से गोली मारी थी। जाहिद अखुंद की हत्या के पीछे भी भारत के एजेंट शामिल थे। जाहिद अखुंद कश्मीरी आतंकवादी जहूर मिस्त्री के नाम से भी जाना जाता था। वह एयर इंडिया की फ्लाइट को हाइजैक करने की घटना में शामिल था। पाकिस्तानी दस्तावेजों में कहा गया है कि एक रॉ हैंडलर ने कथित तौर पर महीनों तक अखुंद की गतिविधियों और स्थान के बारे में जानकारी हासिल की। फिर उस हैंडलर ने कथित तौर पर एक पत्रकार होने का नाटक करते हुए सीधे उससे संपर्क किया। वह केवल उसकी पुष्टि करना चाहती थी। 

सालों की प्लानिंग, दुबई से से लेकर मालदीव तक बैठकें

मार्च 2022 में कराची में गोलीबारी को अंजाम देने के लिए अफगान नागरिकों को कथित तौर पर लाखों रुपये का भुगतान किया गया था। कहा जाता है कि हत्याओं की निगरानी करने वाले रॉ के ऑपरेटरों की बैठकें नेपाल, मालदीव और मॉरीशस में भी हुई थीं। पाकिस्तान द्वारा जमा किए गए कथित सबूतों के अनुसार, हत्याएं नियमित रूप से संयुक्त अरब अमीरात से प्लान की गईं। वहां रॉ ने स्लीपर सेल स्थापित किए हैं जो ऑपरेशन के विभिन्न हिस्सों को अलग से हैंडल करते हैं और हत्यारों की भर्ती करते हैं। एक पाकिस्तानी अधिकारी ने कहा, "पाकिस्तान में हत्याएं आयोजित करने वाले भारतीय एजेंटों की यह नीति रातोंरात तैयार नहीं हुई है। हमारा मानना ​​है कि उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात में इन स्लीपर सेल को स्थापित करने के लिए लगभग दो साल तक काम किया है।"

जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर और भारत के सबसे कुख्यात आतंकवादियों में से एक शाहिद लतीफ को मारने के कई प्रयास किए गए थे। अंत में, एक अनपढ़ 20 वर्षीय पाकिस्तानी ने अक्टूबर में उसे निपटा दिया। उसे कथित तौर पर संयुक्त अरब अमीरात में रॉ द्वारा भर्ती किया गया था, जहां वह अमेजॉन पैकिंग गोदाम में बेहद कम वेतन पर काम कर रहा था। पाकिस्तानी अधिकारियों ने पाया कि उस व्यक्ति को लतीफ का पता लगाने के लिए एक गुप्त भारतीय एजेंट द्वारा कथित तौर पर 1.5 मिलियन पाकिस्तानी रुपये (4,000 पाउंड) का भुगतान किया गया था और बाद में उसे हत्या को अंजाम देने पर 15 मिलियन पाकिस्तानी रुपये और संयुक्त अरब अमीरात में अपनी खुद की कैटरिंग कंपनी देने का वादा किया गया था। युवक ने सियालकोट की एक मस्जिद में लतीफ की गोली मारकर हत्या कर दी, लेकिन कुछ ही देर बाद उसे साथियों सहित गिरफ्तार कर लिया गया।

इसलिए नहीं स्वीकार करता पाकिस्तान

आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बशीर अहमद पीर और भारत की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल सलीम रहमानी की हत्या की योजना भी कथित तौर पर संयुक्त अरब अमीरात से रची गई थी। दुबई से लेन-देन की रसीदों से पता चलता है कि लाखों रुपये का भुगतान किया गया था। रहमानी की मौत को पहले एक संदिग्ध डकैती के नतीजा बताया गया था। विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तानी अधिकारी सार्वजनिक रूप से हत्याओं को स्वीकार करने में हिचक रहे हैं क्योंकि अधिकांश मारे गए लोग जाने-माने आतंकवादी और गैरकानूनी आतंकवादी समूहों के सहयोगी हैं जिन्हें इस्लामाबाद लंबे समय से शरण देने से इनकार करता रहा है। अधिकांश मामलों में, उनकी मौत के बारे में सार्वजनिक जानकारी बहुत कम है। हालांकि, पाकिस्तानी एजेंसियों ने सबूत दिखाए कि उन्होंने बंद दरवाजों के पीछे जांच और गिरफ्तारियां की थीं।