महज 23 साल की उम्र में बने थे जज, अब HC ने कर दिया जबरन रिटायर; कौन हैं तेजविंदर सिंह
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कठुआ से पठानकोट ट्रांसफर की गई थी, जहां वे जिला एवं सत्र न्यायाधीश थे। उन्होंने 6 दोषियों को सजा सुनाई थी। तीन को आजीवन कारावास और तीन को 5 साल की जेल।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट प्रशासन द्वारा वरिष्ठ जिला एवं सत्र न्यायाधीश तेजविंदर सिंह को जबरन रिटायर कर दिया गया। इस आदेश के कुछ ही दिनों बाद उनसे न्यायिक कार्य वापस ले लिया गया है। वह पटियाला में औद्योगिक न्यायाधिकरण में अध्यक्ष पद पर कार्यरत थे। सूत्रों का कहना है कि चूंकि हाईकोर्ट प्रशासन ने उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सिफारिश पंजाब सरकार को भेज दी है, इसलिए यह सामान्य प्रक्रिया है कि संबंधित न्यायिक अधिकारी से न्यायिक कार्य हटा लिया जाए। अब अंतिम निर्णय पंजाब सरकार द्वारा अधिसूचना के माध्यम से जारी किया जाएगा।
कौन हैं तेजविंदर सिंह?
तेजविंदर सिंह 1991 में मात्र 23 साल की उम्र में पंजाब न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे। 1993 में ‘Limca Book of World Records’ में भारत के सबसे युवा मजिस्ट्रेट के तौर पर उनका नाम दर्ज हुआ था। उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में लगभग एक वर्ष तक वकील के तौर पर भी अभ्यास किया था।
कठुआ गैंगरेप-मर्डर केस से मिली थी ख्याति
तेजविंदर सिंह 2019 में कठुआ गैंगरेप और हत्या मामले में दिए गए ऐतिहासिक फैसले के कारण चर्चाओं में आए थे। इस केस की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कठुआ से पठानकोट ट्रांसफर की गई थी, जहां वे जिला एवं सत्र न्यायाधीश थे। उन्होंने 6 दोषियों को सजा सुनाई थी। तीन को आजीवन कारावास और तीन को 5 साल की जेल की सजा सुनाई थी। तेजविंदर सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से कानून में पीएच.डी. की थी।
अगर पंजाब सरकार सिफारिश को स्वीकार करती है, तो उन्हें आधिकारिक रूप से अनिवार्य सेवानिवृत्त कर दिया जाएगा।