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बांग्लादेशी घुसपैठिया बन गई भारत में ग्राम प्रधान? कौन हैं TMC नेता लवली खातून

  • लवली खातून के खिलाफ हाईकोर्ट में चंचल की रहने वालीं रेहाना सुल्ताना की तरफ से याचिका दाखिल की गई थी। रेहाना ने साल 2022 में लवली के खिलाफ ही ग्राम पंचायत का चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

Nisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तानWed, 1 Jan 2025 08:42 AM
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बांग्लादेशी घुसपैठिया बन गई भारत में ग्राम प्रधान? कौन हैं TMC नेता लवली खातून

Lovely Khatun: पश्चिम बंगाल के राशीदाबाद ग्राम पंचायत की प्रधान लवली खातून की पहचान का मामला तूल पकड़ रहा है। दावा किया जा रहा है कि वह बांग्लादेशी हैं और अवैध तरीके से भारत में आई हैं। इस मामले में खातून की पार्टी तृणमूल कांग्रेस भी एक्टिव हो गई है और जांच शुरू कर दी है। इधर, कलकत्ता हाईकोर्ट ने इन आरोपों को लेकर रिपोर्ट भी तलब की है।

कौन हैं लवली खातून

टीवी9 बांग्ला की रिपोर्ट के अनुसार, लवली का असली नाम नासिया शेख है। कथित तौर पर वह बगैर पासपोर्ट के भारत पहुंची थीं और यहां उन्होंने अपनी सारी पुरानी पहचान को मिटा दिया था। रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने पिता का नाम बदलकर शेख मुस्तफा कर दिया था। दस्तावेजों में यही नाम दर्ज है। उन्हें साल 2015 में वोटर कार्ड मिला और साल 2018 में जन्म प्रमाण पत्र मिला। रिपोर्ट के अनुसार, लवली के पिता का असली नाम जमील बिस्वास है।

लवली के खिलाफ हाईकोर्ट में चंचल की रहने वालीं रेहाना सुल्ताना की तरफ से याचिका दाखिल की गई थी। रेहाना ने साल 2022 में लवली के खिलाफ ही ग्राम पंचायत का चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, रेहाना की वकील अमलान भादुड़ी का कहना है, 'याचिका दाखिल करने वाली रेहाना सुल्तान ने तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था, लेकिन लवली खातून के सामने हार गई थीं। खातून ने कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन की उम्मीदवार बनकर चुनाव लड़ा था। चुनाव जीतने के एक या दो महीने के बाद खातून ने टीएमसी का दामन थाम लिया था।'

अखबार से बातचीत में उन्होंने आरोप लगाए हैं कि खातून बांग्लादेशी अप्रवासी हैं। उन्होंने आरोप लगाए हैं कि खातून के नाम पर जारी हुए आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र फर्जी दस्तावेज के आधार पर बने हैं। उन्होंने कहा, 'हम स्थानीय पुलिस स्टेशन और स्थानीय प्रशासन के पास गए थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे में हमने 2024 में कलकत्ता हाईकोर्ट का रुख किया।'

भादुड़ी ने अखबार को बताया, 'लवली खातून ने चुनाव में अपनी पात्रता साबित करने के लिए आधार कार्ड, वोटर कार्ड और ओबीसी दर्जा से जुड़े फर्जी दस्तावेज बनवाए हैं। हमें यह भी स्थानीय लोगों से पता चला है कि खातून पड़ोस के गांव में गई थीं, जहां उन्होंने एक व्यक्ति को अपने पिता के तौर पर पेश होने का अनुरोध किया था। सभी जानते हैं कि उनके पिता का नाम शेख मुस्तफा नहीं है, बल्कि जमील बिस्वास है। यहां तक कि एनपीआर पर भी शेख मुस्तफा के परिवार में लवली का कोई जिक्र नहीं है।'

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