जैसे यूक्रेन से निकाले थे हजारों भारतीय छात्र, वैसे ही ईरान से निकासी में क्यों हो रही मुश्किल; पाक से नाता?
जम्मू कश्मीर छात्र संघ के अनुसार, उर्मिया मेडिकल यूनिवर्सिटी के 110 भारतीय छात्र जिनमें से 90 कश्मीर घाटी के हैं, सुरक्षित रूप से सीमा पार कर आर्मेनिया पहुंच गए हैं। हालांकि बड़ी संख्या में छात्र अभी भे ईरान के अलग-अलग शहरों में फंसे हुए हैं।

सवा तीन साल पहले यानी फरवरी 2022 में जब रूस और यूक्रेन के बीच जंग शुरू हुई तो हजारों भारतीय छात्र यूक्रेन में जंग के बीच फंस गए। उस वक्त भारत सरकार ने ऑपरेशन गंगा लॉन्च कर फौरन करीब 22 हजार छात्रों और अन्य भारतीयों की वतन वापसी कराई थी। देशभर में इसकी सराहना भी हुई थी। अब पिछले पांच दिनों से इजरायल और ईरान के बीच जंग छिड़ी हुई है और ऐसे हालात में करीब 10,000 भारतीय नागरिक ईरान के अलग-अलग शहरों में फंसे हुए हैं। इनमें से करीब 2000 छात्र हैं। इनके अलावा 6000 लोग ऐसे हैं, जो लंबे समय से वहां रहकर काम कर रहे थे। इनके अलावा शिपिंग क्षेत्र से जुड़े लोग भी बड़ी संख्या में ईरान में फंसे हैं।
जानकार बताते हैं कि भौगोलिक परिस्थितियों, हवाई प्रतिबंधों और पश्चिमी एशिया में पसरे तनाव के कारण यूक्रेन जैसा ऑपरेशन गंगा लॉन्च करना बहुत आसान नहीं रह गया है। इसी वजह से भारतीय ईरान में फंसे हुए हैं। हालांकि, यूक्रेन के मुकाबले ईरान में फंसे लोगों की संख्या कम है लेकिन यूक्रेन के मुकाबले ईरान में सुरक्षित मार्ग और विकल्प भी कम हैं। यही वजह है कि अभी तक भारत सरकार ने ईरान से भारतीयों की निकासी के लिए किसी ऑपरेशन का आधिकारिक तौर पर नामाकरण नहीं किया है।
यूक्रेन से निकासी में पड़ोसी देशों ने की थी मदद
यूक्रेन से भारतीयों को निकालने में उसके पड़ोसी देशों मसलन- पोलैंड, हंगरी, रोमानिया, मोल्दोवा, स्लोवाकिया जैसे देशों से मदद मिली थी, जिससे ऑपरेशन गंगा का संचालन आसान हो सका। उस वक्त ऑपरेशन गंगा के तहत कुल 90 उड़ानों से भारतीयों को निकाला गया था। इनमें से 14 उड़ानें भारतीय वायुसेना ने पड़ोसी देशों से संचालित की थीं।
ईरान की क्या स्थिति, निकासी क्यों मुश्किल?
ईरान का निकट पूर्वी पड़ोसी देश अफगानिस्तान और पाकिस्तान है। पाकिस्तान ने हवाई प्रतिबंध लगा रखा है, जबकि अफगानिस्तान से संबंध तो कुछ बेहतर हुए हैं लेकिन वहां से निकासी गंभीर मुद्दा है क्योंकि उड़ानों को पाकिस्तान से होकर ही गुजरना पड़ेगा। अब रही बात ईरान के पश्चिमी छोर की, तो इजरायली हमले की वजह से वह इलाका खतरे से काली नहीं है। यूक्रेन में युद्ध के दौरान भी रेल और सड़क यातायात बनी हुई थी लेकिन ईरान-इजरायल संघर्ष में दोनों मार्ग पर अनिश्चितता और खतरा है। ऐसे में अब एकमात्र विकल्प ईरान के उत्तरी पश्चिमी छोर पर स्थित आर्मेनिया तक जाने वाली सड़कें हैं।
110 लोगों ने ईरान-आर्मेनिया की सीमा पार की
इस बीच, तेहरान में भारतीय दूतावास ने भारतीयों को खुद अपने संसाधानों के बल पर सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी है। इसी प्रक्रिया में करीब 110 लोगों ने ईरान-आर्मेनिया की सीमा पार की है। विदेश मंत्रालय ने भी मंगलवार को कहा कि इजराइल और ईरान के मध्य बढ़ते तनाव के बीच तेहरान में मौजूद भारतीय छात्रों को सुरक्षा कारणों से बाहर निकाल लिया गया है और उनमें से 110 लोग सीमा पार कर आर्मेनिया में प्रवेश कर गए हैं। इसकी पूरी व्यवस्था दूतावास ने की है।
सुरक्षा कारणों से बाहर निकाला गया
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारतीय दूतावास सभी संभव सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से समुदाय के साथ निरंतर संपर्क में है। बयान में कहा गया है, ‘‘तेहरान में भारतीय छात्रों को सुरक्षा कारणों से बाहर निकाल लिया गया है। इसकी व्यवस्था दूतावास ने की।’’ इसमें कहा गया कि परिवहन के हिसाब से जो लोग स्वयं इंतजाम कर सकते हैं उन्हें भी हालात को देखते हुए शहर से बाहर चले जाने की सलाह दी गई है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि इसके अलावा, कुछ भारतीयों को आर्मेनिया की सीमा के माध्यम से ईरान छोड़ने में मदद की गई है।