Acharya Prashant Warns Rising Heat is Not a Headache It is Cancer Threatening Earth Extinction ये सिरदर्द नहीं कैंसर है... बढ़ती गर्मी को लेकर आचार्य प्रशांत ने बड़ी भविष्यवाणी कर दी, Ncr Hindi News - Hindustan
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ये सिरदर्द नहीं कैंसर है... बढ़ती गर्मी को लेकर आचार्य प्रशांत ने बड़ी भविष्यवाणी कर दी

आचार्य प्रशांत ने चेतावनी दी है कि बढ़ती गर्मी सिरदर्द नहीं, कैंसर है। यह पृथ्वी के विनाश और प्रजातियों के अंत का संकेत है। छोटे कदम काफी नहीं, हमें जीवनशैली और नीतियों में बड़े बदलाव चाहिए।

Anubhav Shakya लाइव हिन्दुस्तान, नोएडाMon, 9 June 2025 01:52 PM
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ये सिरदर्द नहीं कैंसर है... बढ़ती गर्मी को लेकर आचार्य प्रशांत ने बड़ी भविष्यवाणी कर दी

राजधानी दिल्ली समेत देशभर में भीषण गर्मी ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। मौसम विभाग लगातार हो रहे जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंता जता रहा है। इस बीच दार्शनिक और लेखक आचार्य प्रशांत ने बढ़ती गर्मी पर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि लगातार चरम मौसमी और बढ़ता तापमान सिरदर्द नहीं है बल्कि कैंसर है, जो पृथ्वी के विनाश का मामला है।

आचार्य प्रशांत ने चेतावनी दी कि मौजूदा पर्यावरणीय संकट कोई मामूली समस्या नहीं, बल्कि सामूहिक विलुप्ति का संकेत है। उनके शब्दों में ये सिरदर्द नहीं है, ये कैंसर है। आचार्य प्रशांत का ये बयान न केवल चिंताजनक है, बल्कि यह हमें अपने पर्यावरणीय कदमों पर गंभीरता से सोचने के लिए मजबूर करता है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि यह खतरा दूर के भविष्य का नहीं, बल्कि अभी का है। उनके अनुसार, लोग यह मानकर भ्रम में हैं कि छोटे-मोटे कदम, जैसे एसी का तापमान 22 डिग्री से 25 डिग्री करना, पर्यावरण को बचा लेगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यह नैतिकता का दिखावा है, असल में हमें बड़े और ठोस कदम उठाने होंगे।

तेजी से हो रहा है जलवायु परिवर्तन

पिछले कुछ वर्षों में भारत में गर्मी की लहरें और चरम मौसमी घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। मौसम विभाग के अनुसार, 2024 में भारत के कई हिस्सों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया, जो सामान्य से 4-6 डिग्री अधिक है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमालय में ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित नहीं किया गया, तो 2030 तक भारत में 4.5 करोड़ लोग अत्यधिक गर्मी के कारण प्रभावित हो सकते हैं।

क्या छोटे कदम काफी हैं?

आचार्य प्रशांत ने लोगों की उस मानसिकता पर सवाल उठाया, जो छोटे बदलावों को पर्यावरण संरक्षण का हल मानती है। उन्होंने कहा, "हमें लगता है कि अगर हम बाहरी दुनिया में कुछ कदम उठाएंगे, तो हम जलवायु परिवर्तन से निपट लेंगे। यह भ्रम है। उनके अनुसार, जलवायु संकट से निपटने के लिए हमें अपनी जीवनशैली, उपभोग की आदतों और औद्योगिक नीतियों में आमूल-चूल परिवर्तन करना होगा।