नहीं चल रहा कानून का जोर,सीमा से ज्यादा शोर बढ़ा रहा दिल्लीवालों की परेशानी
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की रिपोर्ट के अनुसार, करोल बाग जैसे व्यावसायिक इलाकों में दिन (सुबह छह से रात दस बजे तक) के समय औसतन 75 डेसिबल से अधिक का शोर दर्ज किया जा रहा है, जबकि अधिकतम सीमा 65 डेसिबल निर्धारित है।

दिल्ली में ध्वनि प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। प्रमुख इलाकों में शोर का स्तर लगातार तय मानकों को लांघ रहा है। हैरानी की बात यह है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के सख्त निर्देशों और सरकार के आदेश के बावजूद कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की रिपोर्ट के अनुसार, करोल बाग जैसे व्यावसायिक इलाकों में दिन (सुबह छह से रात दस बजे तक) के समय औसतन 75 डेसिबल से अधिक का शोर दर्ज किया जा रहा है, जबकि अधिकतम सीमा 65 डेसिबल निर्धारित है।
रात (रात दस से सुबह छह बजे तक) में यह स्तर 67 डेसिबल तक पहुंच जाता है, जबकि तय मानकों के अनुसार 55 डेसिबल से अधिक नहीं होना चाहिए। करोल बाग लगातार चौथे वर्ष दिल्ली का सबसे शोरगुल वाला क्षेत्र बना हुआ है। वहीं, शाहदरा में भी हालात चिंताजनक हैं। दिन के समय यहां औसतन 72 और रात में 60 डेसिबल से अधिक शोर दर्ज किया गया है। मानकों के अनुसार औद्योगिक क्षेत्रों में दिन की सीमा 75 और रात की 70 डेसिबल तय है। पूसा जैसे औद्योगिक इलाके में दिन में 59.1 और रात में 56.4 डेसिबल मापा गया है।
क्षेत्र | श्रेणी | दिन | रात |
---|---|---|---|
अलीपुर | साइलेंस जोन | 55.5 | 51.1 |
कनॉट प्लेस | व्यवसायिक | 66.8 | 57.6 |
पटपड़गंज | औद्योगिक | 57.1 | 55.8 |
अशोक विहार | रिहायशी | 59.0 | 56.9 |
कश्मीरी गेट व्यवसायिक | 69.1 | 67.6 |
(नोट: बीते एक सप्ताह के आंकड़े डेसिबल में)
डॉ.राजीव मेहता,मनोचिकित्सक,सर गंगाराम अस्पताल ने कहा कि तेज शोर के लगातार संपर्क में रहने से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर नकारात्मक असर पड़ता है। ध्वनि प्रदूषण हमारे कोर्टिसोल लेवल को बढ़ा देता है। इससे तनाव, चिड़चिड़ापन, नींद में बाधा और यहां तक की अवसाद जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।