शिकायत के दो माह बाद भी स्वास्थ्य विभाग ने जांच शुरू नहीं की
फरीदाबाद के बीके अस्पताल में एक बड़ा चिकित्सीय घोटाला सामने आया है, जहां एक एमबीबीएस डॉक्टर ने बिना उचित योग्यता के 55 हृदय ऑपरेशन किए। आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग ने दो महीने बाद भी जांच शुरू नहीं की।...

फरीदाबाद, वरिष्ठ संवाददाता। बीके अस्पताल स्थित हार्ट सेंटर में बड़ा चिकित्सीय घोटाला सामने आया है, जिसमें एक एमबीबीएस डिग्रीधारी डॉक्टर द्वारा 55 हृदय ऑपरेशन किए जाने का मामला उजागर हुआ है। आरोप है कि शिकायत के दो महीने बीत जाने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग अब तक जांच शुरू नहीं कर सका है। इससे स्वास्थ्य विभाग की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। बीके अस्पताल में साल 2018 में पीपीपी मोड पर मेडिट्रीना हॉस्पिटल्स प्राइवेट लिमिटेड की ओर से हार्ट सेंटर शुरू किया गया था। एमबीबीएस डॉ. पंकज मोहन शर्मा नियुक्ति जुलाई-2024 में हुई थी और फरवरी-2025 तक हार्ट सेंटर में नौकरी की।
हार्ट सेंटर प्रबंधन पर आरोप है कि डॉ. पंकज मोहन के नाम पर बीपीएल, आरक्षित श्रेणी और आयुष्मान योजना के तहत बिल लगाकर प्रदेश सरकार के साथ भी धोखाधड़ी की है। प्रदेश सरकार के साथ अनुबंध के तहत मेडिट्रीना हॉस्पिटल्स प्राइवेट लिमिटेड, प्रधान चिकित्सा अधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय को किसी भी चिकित्सक की नियुक्ति से पूर्व वेरिफिकेशन करनी होती है, लेकिन एमबीबीएस डॉ. पंकज मोहन शर्मा की नियुक्ति दौरान वेरिफिकेशन नहीं करने का आरोप है। आरोप है कि डॉ. पंकज मोहन द्वारा किए गए उपचार के कारण हार्ट सेंटर में उपचार कराने आए तीन मरीजों की मौत हो गई थी। इस संबंध में एडवोकेट संजय गुप्ता ने अप्रैल 2025 में थाना एसजीएम नगर शिाकयत दी थी। आरोप है कि डॉक्टर पंकज के पास केवल एमबीबीएस की डिग्री है, फिर भी उसे बीके अस्पताल के हार्ट सेंटर में हृदय संबंधी सर्जरी करने की अनुमति दी गई और उसने 55 ऑपरेशन कर डाले। स्वास्थ्य मानकों के अनुसार, एमबीबीएस डिग्री धारक को जनरल प्रैक्टिशनर होता है, जबकि जनरल फिजिशियन एमडी होता है और हृदय रोगों का ऑपरेशन करने के लिए एमएस या सुपर स्पेशलाइज्ड कार्डियोथोरेसिक सर्जन होना अनिवार्य होता है। ऐसे में एक एमबीबीएस डॉक्टर द्वारा हृदय रोगियों की सर्जरी करना न केवल मेडिकल कदाचार है, बल्कि यह सीधे तौर पर मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ है। पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग से मांगी रिपोर्ट शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने इस मामले को गंभीर मानते हुए स्वास्थ्य विभाग से जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था। इसके लिए विभाग को तीन बार रिमाइंडर भी भेजे गए, लेकिन विभाग ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। इससे यह संकेत मिल रहा है कि मामले को दबाने का प्रयास हो रहा है या फिर विभाग किसी दबाव में निष्क्रिय बना हुआ है। आराेप है कि बीके हार्ट सेंटर में लंबे समय से डॉक्टरों की कमी के चलते ऑपरेशन का भार अनौपचारिक रूप से ऐसे डॉक्टरों पर डाल दिया जाता था जो पूर्ण योग्यता नहीं रखते थे। इस प्रक्रिया में मरीजों की जान जोखिम में पड़ जाती है और उन्हें बिना जानकारी के ऐसे डॉक्टरों से इलाज करवा दिया जाता है जिनके पास सर्जरी करने की विधिवत अनुमति ही नहीं होती। सूत्रों का कहना है कि इस गड़बड़झाले में सिर्फ डॉक्टर ही नहीं, बल्कि अस्पताल प्रबंधन और संबंधित वरिष्ठ अधिकारी भी संदिग्ध भूमिका में हैं। जांच होने पर ही इस मामले की परतें खुल सकती हैं। शिकायतकर्ता एडवोकेट संजय गुप्ता ने अब इस पूरे मामले में हरियाणा के मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य महानिदेशक से गुहार लगाई है कि वे स्वयं संज्ञान लें और मामले की निष्पक्ष जांच कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। मुझे इस मामले में अधिक जानकारी नहीं है। पुलिस और विजिलेंस मामले की जांच कर रही है। वे इस संबंध में बेहतर जानकारी दे पाएंगे। -डॉ. जयंत आहूजा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी
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