Decisive Decade for Health Study Reveals Impact of Habits from Age 36 to 46 सेहत के लिए 36-46 की उम्र सबसे अहम, Delhi Hindi News - Hindustan
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सेहत के लिए 36-46 की उम्र सबसे अहम

फिनलैंड के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन के अनुसार, 36 से 46 वर्ष की उम्र में बनाए गए धूम्रपान और शराब के आदतों का स्वास्थ्य पर स्थायी असर पड़ता है। इस उम्र के बाद आदतें बदलना कठिन होता है और इससे मानसिक...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 1 June 2025 01:09 PM
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सेहत के लिए 36-46 की उम्र सबसे अहम

हेल्सिंकी, एजेंसी। सेहतमंद जिंदगी की बुनियाद युवावस्था में ही रखी जाती है, लेकिन एक नया शोध बताता है कि 36 से 46 वर्ष की उम्र का दशक इंसानी सेहत के लिए सबसे निर्णायक होता है। इस दौरान धूम्रपान और शराब का ज्यादा सेवन करने जैसी आदतें इतनी मजबूत हो जाती हैं कि इन्हें बदलना बेहद कठिन हो जाता है। इस उम्र के बाद यदि ये आदतें बनी रहती हैं, तो शरीर पर उनका प्रभाव स्थायी हो जाता है और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं। यह अध्ययन फिनलैंड के शोधकर्ताओं ने किया है और इसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल एनेल्स ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित किया गया है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस उम्र के बाद अगर कोई व्यक्ति अपनी आदतें बदलना चाहे, तो भी शरीर और मस्तिष्क पर पड़ी असर की भरपाई कर पाना मुश्किल हो सकता है। कारण ये है कि इन आदतों का असर धीरे-धीरे शरीर की जैविक प्रणाली का हिस्सा बन जाता है। शोध में यह भी बताया गया है कि जो लोग अपनी 30 की उम्र के बाद लगातार इन जोखिम भरे व्यवहारों में लगे रहते हैं, उनकी सेहत 50 की उम्र के बाद और अधिक खराब हो जाती है। मोटापा-मधुमेह से पीड़ित मिले लोग शोध में सैकड़ों लोगों के जीवन के 30 वर्षों (1968 से 2021) के स्वास्थ्य आंकड़ों को खंगाला गया। पाया गया कि जो लोग अपने कुशोरावस्था में धूम्रपान, शराब और निष्क्रिय जीवनशैली से जुड़े रहे, उन्हें तत्काल कोई नुकसान नहीं दिखा, लेकिन 36 की उम्र के बाद वही आदतें मानसिक तनाव, मेटाबॉलिक बीमारियों जैसे मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज का कारण बनीं। समयपूर्व मौत और बीमारियों का खतरा -एक भी गलत आदत से मौत और बीमारियों का खतरा बढ़ता है -ये आदतें धीरे-धीरे शरीर और दिमाग को कमजोर करती हैं -20-30 की उम्र में असर कम, 30 के बाद तेजी से बढ़ता है -20-30 में शुरू की गई आदतें 40 के बाद मानसिक रोग बढ़ाती हैं -व्यायाम की कमी से मोटापा, शुगर, बीपी का खतरा दोगुना

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