ब्यूरो ::: पर्यावरण के लिए खतरनाक हो सकता है सोलर पैनल का कचरा
सोलर पैनल का कचरा पर्यावरण के लिए खतरा बनता जा रहा है। भारी धातुओं के कारण जमीन और जल प्रदूषित हो सकते हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सोलर पैनल के कचरे के निस्तारण के लिए दिशा-निर्देश तैयार...

नई दिल्ली प्रमुख संवाददाता। सोलर पैनल का कचरा पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसमें मौजूद भारी धातुओं से जमीन और भूमिगत जल दोनों जहरीले हो सकते हैं। इसे जलाने से निकलने वाली हानिकारक गैसें स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती हैं। इस खतरे को देखते हुए केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सोलर पैनल के कचरे के निस्तारण के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। इन्हें लागू करने के लिए सभी संबंधित पक्षों से इन पर सुझाव मांगे गए हैं। दिल्ली ही नहीं पूरे देश में ही पिछले कुछ सालों में सोलर पैनल का इस्तेमाल बढ़ा है। बिना कोई अतिरिक्त प्रदूषण किए बिजली पैदा करने के इस तरीके को देश भर में ही प्रोत्साहित किया जा रहा है।
सोलर पैनल लगाने पर सरकार की ओर से तमाम तरह की सब्सिडी भी दी जाती है। निश्चित तौर पर इन उपायों से देश भर में ही सौर ऊर्जा का उत्पादन बढ़ा है। लेकिन, सौर ऊर्जा के बढ़ते चलने के साथ ही सोलर पैनल के कचरे को लेकर भी चिंताएं बढ़ने लगी हैं। सोलर पैनल में फोटो वाल्केनिक सेल लगे होते हैं। जिसमें ग्लास, एल्यूमिनियम फ्रेम, सिलिकॉन वेफर्स, मेटल ( कॉपर, सिल्वर, लेड, कैडमियम, टेलूरियम, गेलियम, आर्सेनिक, टिन आदि) व प्लास्टिक लगा होता है। इसलिए अगर सोलर पैनल के कचरे को सही और वैज्ञानिक तरीके से निस्तारित नहीं किया जाए तो वे पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं। इसे देखते हुए केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सोलर पैनल के कचरे पर दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। इसमें सोलर पैनल के निर्माण, उसे लाने-ले जाने और उसके वैज्ञानिक निस्तारण पर जोर दिया गया है। बोर्ड ने फिलहाल इन दिशा-निर्देशों को अपनी साइट पर रखा है और लोगों, विशेषज्ञों व संस्थाओं से इस पर सुझाव मांगे हैं। 25 जून तक प्राप्त होने वाले सुझावों पर विचार किया जाएगा और जरूरत अनुसार फेर-बदल करके दिशा-निर्देश सभी राज्यों के लिए जारी किए जाएंगे। बनाने वाले को वापस लेना होगा सोलर पैनल सीपीसीबी द्वारा तैयार दिशा-निर्देशों में इस बात पर जोर है कि समयावधि पूरी कर चुके सोलर पैनल को उत्पादक और मैन्युफैक्चरर द्वारा वापस लिए जाने का पूरा तंत्र विकसित होना चाहिए। इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि सोलर पैनल को वापस लिए जाने के बारे में पूरा विवरण साफ-साफ लिखा होना चाहिए। मैन्युफैक्चरर और उत्पादक को अपनी साइट पर टेक बैक सिस्टम का लिंक उपलब्ध कराना चाहिए और इसके लिए जिम्मेदार लोगों का नंबर भी देना चाहिए। इसके साथ ही सोलर पैनल के साथ कोई नुकीली चीज ले जाने, इसे जलाए जाने आदि को लेकर सख्त मनाही की गई है। पर्यावरण को ऐसे नुकसान पहुंचाता है सोलर पैनल का कचरा सोलर पैनल में लेड, कैडमियम, आर्सेनिक जैसी भारी धातुएं मौजूद होती हैं। इन्हें यूं ही फेंक दिए जाने पर ये भारी धातुएं जमीन में मिलने लगती हैं और मिट्टी को जहरीला बनाती है। अवैज्ञानिक तरीके से इसे जलाने पर बेहद जहरीली लपट निकलती है जो कि पर्यावरण के लिए बहुत खतरनाक साबित होती है। 2030 तक छह लाख टन होगा सोलर पैनल का कचरा सौर ऊर्जा के बढ़ते इस्तेमाल के साथ ही सोलर पैनल का कचरा भी बढ़ा है। ब्रिटिश सेफ्टी काउंसिल इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक अभी ही भारत में एक लाख टन से ज्यादा सोलर पैनल का कचरा पैदा हो चुका है। वर्ष 2030 तक इस कचरे की मात्रा छह लाख टन के लगभग होने की संभावना है। इसलिए सोलर पैनल के कचरे के वैज्ञानिक निस्तारण पर तेजी से काम करने की जरूरत है।
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