कर्नाटक का सामाजिक-शैक्षणिक सर्वेक्षण केंद्र की जाति जनगणना से अलग: सिद्धरमैया
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा किया जाने वाला सामाजिक-शैक्षणिक और जातिगत सर्वेक्षण केंद्र की जाति जनगणना से अलग है। यह सर्वेक्षण पिछड़े और हाशिए पर पड़े समुदायों के...

दावणगेरे (कर्नाटक), एजेंसी। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार द्वारा कराया जाने वाला आगामी सामाजिक-शैक्षणिक और जातिगत सर्वेक्षण केंद्र की जाति जनगणना से अलग है। सिद्धरमैया ने संवाददाताओं से कहा कि राज्य की यह पहल सामाजिक न्याय की आवश्यकता से प्रेरित है। उन्होंने कहा, हम जो करने जा रहे हैं, वह एक सामाजिक-शैक्षणिक सर्वेक्षण है। जाति जनगणना भी इस दायरे में आएगी। उन्होंने दोहराया कि कर्नाटक सरकार को केंद्र की जनगणना पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उन्होंने राज्य की कवायद के दायरे और इरादे को रेखांकित किया। सिद्धरमैया के अनुसार, राज्य के सर्वेक्षण का उद्देश्य आंकड़े एकत्र करना है, जो पिछड़े और हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए प्रभावी कल्याणकारी उपायों की जानकारी दे सकता है।
उन्होंने कहा, हम ऐसा इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि सामाजिक न्याय के लिए हमें लोगों की सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति का पता होना चाहिए। यह जाने बिना सार्थक कल्याणकारी कार्यक्रमों को लागू करना मुश्किल हो जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले सर्वेक्षण पर आपत्ति प्रभावशाली और वंचित दोनों समुदायों की ओर से आई थी। महत्वपूर्ण बात यह है कि 10 साल हो चुके हैं, जब पिछला सर्वेक्षण शुरू किया गया था। कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम की धारा 11 के अनुसार, हर 10 साल बाद एक नई रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिए। नए सर्वेक्षण का आदेश देने के हमारे फैसले का यही कानूनी और प्रशासनिक आधार है। सिद्धरमैया ने कहा कि उन्होंने कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को बिना देरी किए सर्वेक्षण कार्य शुरू करने का निर्देश दिया है।
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