RBI Increases Gold Loan LTV Ratio from 75 to 85 for Small Loans 2.5 लाख के सोने पर 85 फीसदी कर्ज मिलेगा, Delhi Hindi News - Hindustan
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2.5 लाख के सोने पर 85 फीसदी कर्ज मिलेगा

आरबीआई ने सोने के बदले कर्ज का ऋण-मूल्य अनुपात 75 प्रतिशत से बढ़ाकर 85 प्रतिशत करने की योजना बनाई है। यह परिवर्तन 2.5 लाख रुपये से कम के छोटे कर्ज के लिए लागू होगा। नए दिशा-निर्देशों में स्व-घोषणा की...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 6 June 2025 04:22 PM
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2.5 लाख के सोने पर 85 फीसदी कर्ज मिलेगा

मुंबई, एजेंसी। आरबीआई सोने के बदले कर्ज देने के ऋण-मूल्य (एलटीवी) अनुपात को मौजूदा 75 प्रतिशत से बढ़ाकर 85 प्रतिशत करने की तैयारी में है। इसका मतलब है कि ग्राहकों को गिरवी रखे गए सोने की कुल कीमत का 85 फीसदी तक ही ऋण मिलेगा। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को बताया कि अभी तक कर्ज-मूल्य अनुपात 75 प्रतिशत था। अब इसे 2.5 लाख रुपये से कम के छोटे ऋण के लिए 85 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा। यह छूट कुछ शर्तों के साथ दी जाएगी। एलटीवी की गणना करते समय मूलधन और ब्याज दोनों को शामिल किया जाएगा, जबकि वर्तमान में केवल मूलधन पर ही जोर दिया जाता है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थान 75 प्रतिशत की मौजूदा एलटीवी सीमा के तहत स्वर्ण ऋण देते समय ब्याज और मूलधन दोनों को शामिल कर रहे हैं, लेकिन कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां और छोटे बैंकों में एलटीवी को 88 प्रतिशत तक बढ़ाया जा रहा है। नए नियम जल्द आएंगे मल्होत्रा ने कहा कि सोने के ऋण से जुड़े नए दिशा-निर्देशों पर कुछ समय से काम चल रहा है। इस पर सार्वजनिक परामर्श और कदमों के प्रभाव का आकलन करने के बाद अंतिम नियमन जारी किए जाएंगे। संशोधित मानदंडों का उद्देश्य न्यूनतम जोखिम के साथ इस श्रेणी को बेहतर तरीके से विनियमित करना है। गौरतलब है कि आरबीआई ने कुछ महीने पहले स्वर्ण ऋण पर एक मसौदा जारी किया था। उस समय मल्होत्रा ने यह साफ किया था कि मसौदा पहले जारी किए गए सभी नियमों को केवल एक जगह लाने का कदम है। रसीद न होने पर शपथपत्र देना होगा मल्होत्रा ने कहा कि नए स्वर्ण ऋण नियम मालिकाना हक पर भी स्पष्टता प्रदान करेंगे। इसमें स्व-घोषणा की सुविधा शामिल होगी। अगर उधारकर्ता सोने की खरीद की रसीद प्रस्तुत करने में असमर्थ हैं, वे स्व-घोषणा कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि यह कदम 2.5 लाख रुपये तक के ऋण के लिए 'क्रेडिट' मूल्यांकन की आवश्यकता को समाप्त कर देगा। इसके अलावा ऋण की अंतिम-उपयोग निगरानी केवल तभी अनिवार्य होगी जब कोई वित्तीय संस्थान किसी कर्ज को प्राथमिकता क्षेत्र के ऋण के रूप में वर्गीकृत करके उसका लाभ उठा रहा हो।

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