Rise of Dry Eye Disease in Digital Age New Treatment Developed by AIIMS कम्प्यूटर-मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से सूख रहे आंसू, Delhi Hindi News - Hindustan
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कम्प्यूटर-मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से सूख रहे आंसू

नई दिल्ली में एम्स के एक अध्ययन के अनुसार, डिजिटल युग में कम्प्यूटर और मोबाइल के बढ़ते उपयोग के कारण ड्राई आई डिजीज की समस्या बढ़ रही है। हर तीसरा व्यक्ति उत्तर भारत में इस समस्या का सामना कर रहा है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 29 May 2025 07:57 PM
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कम्प्यूटर-मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से सूख रहे आंसू

नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। डिजिटल युग में कम्प्यूटर-मोबाइल के बढ़ते इस्तेमाल के बीच ड्राई आई डिजीज की समस्या तेजी से बढ़ी है। एम्स के ताजा अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। शोध में यह भी पता चला कि धूम्रपान और कॉन्टेक्ट लेंस भी आखों की नमी छीन रहे हैं। अध्ययन में मुताबिक, उत्तर भारत का हर तीसरा व्यक्ति इस समस्या से जूझ रहा है। शोधकर्ताओं ने इस समस्या को लेकर लोगों को आगाह करते हुए इसके इलाज की एक नई तकनीक भी विकसित की है। एम्स के डॉक्टर नमृता शर्मा और सुजाता शर्मा ने ड्राई आई डिजीज पर अध्ययन कर इसके इलाज की नई तकनीक विकसित की है।

एम्स की प्रोफेसर डॉ. सुजाता ने कहा कि सामान्य आंखों में समय-समय पर आंसू आते रहते हैं। इस कारण आंखों में नमी बनी रहती है। इससे कॉर्निया ठीक रखता है। आंसू कॉर्निया की सतह को उचित नमी देने के साथ सुरक्षा भी देते हैं। डॉ. सुजाता के मुताबिक, पोस्ट रिफ्रेक्टिव सर्जरी (चश्मा हटाने के लिए) के दौरान करीब 60 फीसदी मरीजों में आंखों के सूखापन की समस्या देखने को मिली। इस समस्या के कारण कॉर्नियल-न्यूरल-लैक्रिमल रिफ्लेक्स आर्क में रुकावट आ सकती है। जिससे आंसू उत्पादन और पलक झपकने की दर प्रभावित होती है। ऐसे मामलों में सर्जरी के बाद मरीज को लैक्टोफेरिन देने से बड़ी राहत मिलती है। आंखों के लिए लुब्रिकेशन का काम करते हैं आंसू डॉक्टरों के मुताबिक, ड्राई आई यानी सूखी आंखें, एक ऐसी स्थिति है जिसमें आंखों में पर्याप्त नमी नहीं बनती। यह समस्या मामूली जलन से शुरू होकर नजर कमजोर होने तक जा सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, आंखों के आंसू न केवल लुब्रिकेशन का काम करते हैं, बल्कि रेटीना की सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभाते हैं। सुरक्षा के लिए 20-20-20 नियम अपनाएं विशेषज्ञों के मुताबिक, लोग 20-20-20 का नियम अपना कर आंखों को सुरक्षित रख सकते हैं। इसे घर या दफ्तर कहीं भी बड़ी आसानी से किया जा सकता है। - इस नियम के मुताबिक, हर 20 मिनट पर 20 फीट दूर देखें, कम से कम 20 सेकेंड तक। - इसके अलावा, आंखों की नियमित जांच कराना, स्क्रीन टाइम सीमित करना और जरूरत पड़ने पर आई ड्रॉप्स का उपयोग करना आवश्यक है।

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