हिंदू एक हों और देश की सेना को भी मजबूत बनाएं: भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि भारत को शक्तिशाली होना चाहिए। उन्होंने हिंदू समाज की एकता और राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया। भागवत ने कहा कि सज्जनता के साथ शक्ति होनी...

नई दिल्ली, एजेंसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर कहा है कि भारत के पास शक्तिशाली होने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। उन्होंने हिंदू समाज में एकता और देश को सशक्त बनाने का आह्वान किया। भागवत ने एक साक्षात्कार में कहा कि भारत के पास शक्तिशाली होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि वह अपनी सभी सीमाओं पर बुरी ताकतों की दुष्टता देख रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा, सैन्य शक्ति और आर्थिक शक्ति पर संघ के दृष्टिकोण के बारे में पूछे जाने पर भागवत ने कहा, हमें बल संपन्न होना ही पड़ेगा। संघ में प्रार्थना की पंक्ति ही है-अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिम् (हमें इतनी शक्ति दीजिए कि हमें विश्व में कोई न हरा सके)।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। संघ प्रमुख ने कहा, अपना स्वयं का बल ही वास्तविक बल है। सुरक्षा के मामले में हम किसी पर निर्भर न हों, हम अपनी सुरक्षा स्वयं कर लें। सारी दुनिया मिलकर भी हमें जीत न सके, इतना सामर्थ्य संपन्न हमें होना ही है। उन्होंने कहा, विश्व में कुछ दुष्ट लोग हैं जो स्वभाव से आक्रामक हैं। हमारे पास कोई और विकल्प नहीं है। हमें शक्ति संपन्न होना ही पड़ेगा क्योंकि हम अपनी सभी सीमाओं पर दुष्ट लोगों की दुष्टता देख रहे हैं। भागवत ने कहा, सज्जन व्यक्ति केवल सज्जनता के कारण सुरक्षित नहीं रहता। सज्जनता के साथ शक्ति चाहिए। यह पूछे जाने पर कि क्या वैश्विक स्तर पर मानवाधिकार रक्षकों को पड़ोसी देशों में शोषण और हिंसा का सामना कर रहे हिंदुओं की चिंता है, आरएसएस प्रमुख ने कहा कि किसी को हिंदू की चिंता केवल तभी होगी, जब हिंदू सशक्त बनेंगे। उन्होंने कहा, हिंदू समाज और भारत देश आपस में जुड़े हैं इसलिए हिंदू समाज का बहुत अच्छा स्वरूप भारत को भी बहुत अच्छा देश बनाएगा। जो अपने आप को भारत में हिंदू नहीं कहते, यह उन्हें भी साथ लेकर चल सकेगा, क्योंकि वे भी हिंदू ही थे। उन्होंने कहा, यदि भारत का हिंदू समाज सामर्थ्यवान होगा तो विश्वभर के हिंदुओं का सामर्थ्य अपने आप बढ़ेगा। भागवत ने कहा कि हिंदू समाज को मजबूत करने के लिए काम चल रहा है लेकिन यह अभी पूरा नहीं हुआ है। भागवत ने आरएसएस के शताब्दी वर्ष में शुभचिंतकों, विचारकों और हिंदू समाज के लिए उनके संदेश के बारे में पूछे जाने पर कहा, हिंदू समाज को अब जागृत होना ही पड़ेगा। अपने सारे भेद और स्वार्थ भूलकर हमें हिंदुत्व के शाश्वत धर्म मूल्यों के आधार पर अपने व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक एवं पेशेवर जीवन को आकार देना होगा। -- अब धार्मिक क्रांति की आवश्यकता भागवत ने कहा, विश्व को नई राह की प्रतीक्षा है। वह दिखाना भारत का यानी हिंदू समाज का ईश्वर प्रदत्त कर्तव्य है। उन्होंने कहा, कृषि क्रांति हो गई, उद्योग क्रांति हो गई, विज्ञान और प्रौद्योगिकी की क्रांति हो गई, अब धार्मिक क्रांति की आवश्यकता है। मैं धर्म की बात नहीं कर रहा हूं लेकिन सत्य, शुचिता एवं करुणा के आधार पर मानव जीवन की पुनर्रचना करनी होगी।
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