घर का निर्माण या उसका नक्शा जब वास्तु शास्त्र के नियमों के खिलाफ होता है, तो वास्तु दोष लगता है। इससे घर में ऊर्जा का प्रवाह बाधित होता है और नकारात्मक ऊर्जा हावी हो जाती है। गलत दिशा में मुख्य द्वार, रसोई या बेडरूम का गलत स्थान या घर के कोनों में गंदगी का जमाव वास्तु दोष का कारण बन सकता है।
अगर आपके घर में बार-बार बीमारियां हो रही हैं, परिवार में तनाव या झगड़े बढ़ रहे हैं या आर्थिक परेशानियां खत्म नहीं हो रही हैं, तो यह वास्तु दोष का संकेत हो सकता है। बच्चों की पढ़ाई में रुकावट, रिश्तों में गलतफहमियां या घर में अशांति भी इसके लक्षण हैं। दीवारों में दरारें, छत से पानी टपकना या अंधेरे कोने भी वास्तु दोष की ओर इशारा करते हैं।
वास्तु दोष कई कारणों से हो सकता है। मुख्य दरवाजे का गलत दिशा में होना, रसोई का दक्षिण-पश्चिम में होना या बेडरूम का उत्तर-पश्चिम में होना भी दोष पैदा करता है। पानी की टंकी का गलत स्थान, जैसे दक्षिण दिशा में या घर के कोनों में गंदगी और अंधेरा वास्तु दोष को बढ़ाता है।
वास्तु दोष का असर परिवार के हर पहलू पर पड़ता है। यह सेहत को प्रभावित करता है, जिससे बार-बार बीमारियां हो सकती हैं। आर्थिक तंगी, काम में रुकावट और रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है। बच्चे पढ़ाई में ध्यान नहीं दे पाते और घर में शांति की जगह अशांति हावी हो जाती है। अगर समय रहते इसे ठीक ना किया जाए, तो समस्याएं और गंभीर हो सकती हैं।
वास्तु दोष को ठीक करना जटिल नहीं है। मुख्य दरवाजे को साफ और खुला रखें, गंदगी ना जमने दें। घर के कोनों को रोशन और स्वच्छ रखें। पानी की टंकी को उत्तर-पूर्व दिशा में रखें। बेडरूम को दक्षिण-पश्चिम और रसोई को दक्षिण-पूर्व में बनाएं। दीवारों की दरारें ठीक करें और तुलसी जी का पौधा लगाकर पूजा करें। धूप-दशांग जलाकर सकारात्मक ऊर्जा फैलाएं।
वास्तु दोष को नजरअंदाज करना घर की खुशहाली को खतरे में डाल सकता है। छोटे-छोटे बदलाव, जैसे सही दिशा में सामान रखना, घर को साफ और रोशन रखना और पौधों का उपयोग, नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकता है। वास्तु विशेषज्ञ की सलाह लें और अपने घर को सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर बनाएं।