हिंदी फिल्मों में यादगार गीत लिखने वाले गीतकार आनंद बक्शी कई पीढ़ियों के लिए एक मिसाल बनकर रहे। उन्होंने अपने फिल्मी करियर में एक से बढ़ कर एक पॉपुलर गाने लिखे थे। उनकी हिट लिस्ट में शामिल हैं।
आनंद बक्शी साहब ने 'एक अजनबी हसीना से', 'तुझे देखा तो ये जाना सनम', 'ये जो मोहब्बत है', 'प्यार दीवाना होता है' जैसे गाने गाए हैं। लेकिन वो अपने इतने सफल करियर में एक बहुत बड़ी गलती कर बैठे थे। इस बात का ज़िक्र उनके बेटे राकेश आनंद बक्शी ने उनकी बायोग्राफी में किया है।
राकेश आनंद बक्शी ने अपने पिता आनंद बक्शी के नाम एक बायोग्राफी लिखी है जिसका नाम है 'नगमे, किस्से, बातें, यादें: द लाइफ ऑफ़ लिरिक्स ऑफ आनंद बक्शी' इस किताब में उन्होंने पिता की उस गलती का जिक्र किया है।
राकेश ने बताया कि उनके पिता फिल्म ‘अंधा कानून’ के गाने पॉपुलर गाने ‘रोते रोते हंसना सीखो, हंसते हंसते रोना, जितनी चाबी भरी राम ने उतना चले खिलौना’ से खुश नहीं थे। उन्होंने इस गाने में एक इतनी बड़ी गलती कर दी थी कि उन्हें जिंदगी भर इसका मलाल रहा।
1983 में आई फिल्म वैसे तो हेमा मालिनी और रजनीकांत पर बेस्ड थी, लेकिन इस फिल्म में अमिताभ बच्चन भी नजर आए थे। ये गाना उन्हीं पर फिल्माया गया था। अब आप सोचेंगे कि इतने खूबसूरत गाने में क्या गलती हो सकती है।
दरअसल, अंधा कानून में अमिताभ बच्चन के किरदार का नाम जान निसार खान था। वो एक मुस्लिम किरदार था। और गाने ‘रोते रोते हंसना सीखो, हंसते हंसते रोना, जितनी चाबी भरी राम ने उतना चले खिलौना’ में वो राम का नाम ले रहे हैं।
आनंद बक्शी साहब बस यही गलती हो गई थी आनंद बक्शी से। वो फिल्म मेकर्स से अमिताभ के किरदार, उनके नाम और धर्म की जानकारी लेना भूल गए थे। वो एक मुस्लिम किरदार से राम का नाम नहीं बुलवाना चाहते थे।
हालांकि इस गाने को ऑडियंस से बहुत प्यार मिला। किरदार हिंदू था या मुस्लिम, इस पर ध्यान दिए बिना सभी ने फिल्म के खूबसूरत गाने को एन्जॉय किया था।