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शपथ में कुंवारा, राशन कार्ड में पति! जाने घूसखोर MLA जयकृष्ण पटेल की पूरी कहानी

20 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में जेल में बंद विधायक जयकृष्ण पटेल पर एक और बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। करीब सात साल पहले, वर्ष 2018 में पटेल ने खुद को विवाहित बताते हुए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 1.20 लाख रुपये की सरकारी सहायता राशि प्राप्त कर ली।

Sachin Sharma लाइव हिन्दुस्तान, जयपुरMon, 26 May 2025 03:11 PM
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शपथ में कुंवारा, राशन कार्ड में पति! जाने घूसखोर MLA जयकृष्ण पटेल की पूरी कहानी

रिश्वतखोरी के आरोप में जेल की सलाखों के पीछे बंद विधायक जयकृष्ण पटेल की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। अब उनके खिलाफ एक और बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है, जो न केवल जनता के विश्वास के साथ छल है, बल्कि सरकारी योजनाओं की नींव को भी झकझोर देने वाला है।

पटेल पर आरोप है कि वर्ष 2018 में उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ₹1.20 लाख की सरकारी सहायता राशि हासिल की, वह भी फर्जी दस्तावेजों के जरिए। दिलचस्प बात यह है कि आवेदन में उन्होंने राशन कार्ड में खुद को विवाहित दिखाया और 'कल्पना' नामक महिला को पत्नी बताया। लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 के उपचुनाव में दाखिल शपथ पत्रों में खुद को अविवाहित बताया। यानि सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए झूठ का सहारा लिया गया।

इतना ही नहीं, पटेल ने जो मकान इस योजना के तहत दिखाया, वह उनका पुश्तैनी मकान निकला। जांच में पता चला कि जियो टैगिंग के जरिए किसी और जगह की फोटो लगाकर मकान को नया बताया गया और योजना की राशि हड़प ली गई। जबकि उनके दादा रमेशचंद्र और पिता जवाहरलाल दोनों सरकारी शिक्षक रह चुके हैं और परिवार के पास पहले से पक्का मकान मौजूद है।

फर्जीवाड़े की परतें यहीं नहीं रुकतीं। पटेल के परिवार ने दादी शांति देवी के नाम से भी वर्ष 2020 में इसी योजना का लाभ लिया। आवेदन में पति की जगह पिता का नाम दर्ज किया गया, फिर भी सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से पैसा जारी कर दिया गया।

जयकृष्ण पटेल की विवादित छवि केवल योजनाओं तक सीमित नहीं है। खुलासे के अनुसार, विधायक बनने से पहले उन्होंने सरकारी शिक्षक की नौकरी फर्जी डिग्री के आधार पर हासिल की थी। पटेल ने दावा किया था कि उन्होंने 2007-10 में मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी से रेगुलर पढ़ाई की, फिर 2011 में सिक्किम और 2012 में गुजरात की यूनिवर्सिटी से भी बीए की डिग्री ली। एक ही समय में तीन जगह से पढ़ाई करना असंभव है — यानि इनमें से एक नहीं, कई डिग्रियां फर्जी हैं।

इतना सब कुछ होने के बावजूद, पटेल और उनका परिवार खाद्य सुरक्षा योजना के तहत मुफ्त राशन भी ले रहा है। जबकि नियमों के मुताबिक, सरकारी कर्मचारी इस योजना के दायरे से बाहर होता है।

जयकृष्ण पटेल का ये पूरा मामला दर्शाता है कि कैसे उन्होंने सरकारी तंत्र, योजनाओं और अपने पद का दुरुपयोग कर अवैध रूप से धन अर्जित किया और जनता के साथ विश्वासघात किया। अब जबकि रिश्वतखोरी का मामला उजागर हो चुका है और पटेल जेल में हैं, तो ये पुराने घोटाले उनके लिए कानूनी शिकंजा और कस सकते हैं।

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