थानेदार ने ‘आम’ से जगाई आवाम, चौमूं के मंदिर को मिले सवा 3 करोड़... जानें पूरी कहानी
जब तक 1 करोड़ नहीं, तब तक आम नहीं! — ये कोई मजाक नहीं, बल्कि चौमूं के थानाधिकारी प्रदीप शर्मा का संकल्प था। लेकिन किसे पता था कि उनका ये ‘आम’ संकल्प, चौमूं में असाधारण कमाल कर देगा।

"जब तक 1 करोड़ नहीं, तब तक आम नहीं!" — ये कोई मजाक नहीं, बल्कि चौमूं के थानाधिकारी प्रदीप शर्मा का संकल्प था। लेकिन किसे पता था कि उनका ये ‘आम’ संकल्प, चौमूं में असाधारण कमाल कर देगा। मंदिर निर्माण के लिए शुरू हुआ ये संकल्प अब सवा तीन करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है — और वो भी सिर्फ कुछ ही दिनों में!
कानून व्यवस्था में भी निभाई अगुवाई
प्रदीप शर्मा सिर्फ मंदिर अभियान तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने इस जन-जागरण का उपयोग क्षेत्र की कानून व्यवस्था को सुधारने में भी किया। गश्त बढ़ाई गई, युवाओं के साथ संवाद बैठकें की गईं, नशा व अपराध विरोधी कार्यक्रम चलाए गए। आमजन में पुलिस के प्रति विश्वास मजबूत हुआ और स्थानीय स्तर पर अपराध नियंत्रण में उल्लेखनीय सुधार देखा गया।
आम ने जोड़े अरमान, बदले चौमूं के हालात
श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए फंड जुटाना एक चुनौती था। तभी चौमूं थानाधिकारी प्रदीप शर्मा ने मंदिर परिसर में घोषणा कर दी — "जब तक एक करोड़ रुपये इकट्ठे नहीं होते, मैं आम नहीं खाऊंगा।" यह बात मानो चौमूं की आत्मा को छू गई। सोशल मीडिया पर यह वीडियो छाया और फिर जो हुआ, वो चौंकाने वाला था — 4 दिन में ही 1 करोड़ और अब चंद दिनों में ही सवा 3 करोड़ रुपये इकट्ठा हो चुके हैं।
हर वर्ग से आया सहयोग, दिल से दिया दान
लोगों ने दिल खोलकर सहयोग दिया। किसी ने 500, किसी ने 50 हजार, तो किसी ने लाखों रुपये मंदिर के लिए दान किए। स्थानीय व्यापारियों, प्रवासी चौमूंवासियों, महिलाओं, युवाओं और यहां तक कि बच्चों ने भी अपने गुल्लकों से पैसे निकालकर इस मुहिम में हिस्सा लिया।
श्रद्धा और संकल्प का संगम
यह महज फंडरेजिंग नहीं, बल्कि एक भावनात्मक आंदोलन बन गया। लोग न सिर्फ धन दे रहे थे, बल्कि मंदिर में खुद श्रमदान भी कर रहे थे। साफ-सफाई, भोजन वितरण, निर्माण कार्य — हर जगह जनता की सक्रिय भागीदारी दिखी। पूरे कस्बे में एक अद्भुत ऊर्जा महसूस की गई।
आम अर्पण के साथ टूटा व्रत
जैसे ही सवा करोड़ की राशि पार हुई थी, मंदिर में विशेष पूजा कर भगवान लक्ष्मीनाथ को आम अर्पित किए गए थे। लेकिन अब जब सवा तीन करोड़ रुपये की सीमा पार हो चुकी है, तो यह संकल्प अब सामूहिक उपलब्धि बन चुका है। थाना प्रभारी प्रदीप शर्मा को आम खिलाकर उनका व्रत तुड़वाया गया, लेकिन लोगों की श्रद्धा और समर्थन का सिलसिला अभी भी जारी है।
चौमूं को मिला एक 'आम' हीरो
आज चौमूं में हर कोई कह रहा है — “ऐसे अफसर हर जिले में हों तो समाज बदल सकता है।” प्रदीप शर्मा की सादगी, सेवा और संकल्प ने चौमूं को एक नई पहचान दी है। वो अब सिर्फ एक थाना प्रभारी नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना के नायक बन चुके हैं।
यह कहानी बताती है कि जब इरादा नेक हो, संकल्प सच्चा हो और नेतृत्व ईमानदार हो — तो एक आम फल भी करोड़ों दिलों को जोड़ सकता है।
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