राजस्थान के मोक्षधाम बनेंगे ग्रीन मोक्षधाम! गौमाया,भारत सरकार(नीरी) ने जयपुर से की शुरुआत
पारंपरिक धार्मिक परंपराओं के साथ अब पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी बड़ा कदम उठाया जा रहा है। राजस्थान में अब मोक्षधामों को “ग्रीन मोक्षधाम” में बदला जाएगा।

पारंपरिक धार्मिक परंपराओं के साथ अब पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी बड़ा कदम उठाया जा रहा है। राजस्थान में अब मोक्षधामों को “ग्रीन मोक्षधाम” में बदला जाएगा। इस ऐतिहासिक पहल की शुरुआत जयपुर से हुई है, जहां गौमाया और राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान केंद्र (नीरी) की संयुक्त कोशिश से पहला ग्रीन मोक्षधाम तैयार किया जा रहा है। यह प्रयास न केवल प्रदूषण को कम करेगा, बल्कि पारंपरिक मूल्यों को भी सहेजेगा।
जयपुर ग्रेटर नगर निगम द्वारा खंडेलवाल वैश्य समाज समन्वय समिति एवं गौमाया को आवंटित मोक्षधाम में यह प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य अंतिम संस्कार से होने वाले प्रदूषण को ‘नेट जीरो’ स्तर तक लाना है। कोविड काल के दौरान लकड़ियों की भारी कमी और प्रदूषण की समस्या को देखते हुए गौमाया के संस्थापक डॉ. सीताराम गुप्ता ने एक वैकल्पिक समाधान के रूप में गोमय समिधा विकसित की थी। इसमें देसी गाय के गोबर, एग्रीकल्चर वेस्ट, पराली और जड़ी-बूटियों का उपयोग किया गया। यह नवाचार अब पूरे देश के लिए एक मॉडल बन रहा है।
इस परियोजना को भारत सरकार के राष्ट्रीय कृषि विपणन संस्थान (नियाम) से सीड फंडिंग प्राप्त हुई है। साथ ही मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनआईटी) की तकनीकी सहायता और नीरी की वैज्ञानिक टीम इस परियोजना में मुख्य भूमिका निभा रही है। नीरी की वरिष्ठ वैज्ञानिक बी. पदमा एस. राव के नेतृत्व में एयर पॉल्यूशन कंट्रोल सिस्टम विकसित किया जा रहा है, जो अंतिम संस्कार के दौरान निकलने वाले धुएं और गैसों को नियंत्रित करेगा।
गौमाया के को-फाउंडर्स वाई. मित्तल और राजा मुकीम ने बताया कि यह पहल न केवल पर्यावरण, बल्कि मानव स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी असरदार सिद्ध होगी। गौमाया द्वारा विकसित यह प्रणाली विभिन्न राज्यों में भी लागू की जा सकेगी। इसके लिए आगे चलकर प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता भी दी जाएगी।
एमआईआईसी (मालवीय इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन सेंटर) के प्रमुख डॉ. संजय गौड़ के अनुसार, गौमाया ने उनके स्टार्टअप प्रतियोगिता में जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान हासिल किया है। साथ ही, वैश्विक स्तर पर यह स्टार्टअप विश्व के टॉप 40 आइडियाज में स्थान बना चुका है।
इस पूरी प्रक्रिया में धार्मिक भावनाओं और परंपराओं का विशेष ध्यान रखा गया है। अंशदानी फाउंडेशन के सहयोग से अंतिम संस्कार के लिए गोमय समिधा निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। यह पहल एक ओर जहां हमारी सांस्कृतिक विरासत को सम्मान देती है, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण के अनुकूल समाधानों को भी आगे बढ़ाती है।
जयपुर से शुरू हुई यह पहल आने वाले समय में पूरे देश के लिए एक प्रेरणास्रोत बनेगी। ग्रीन मोक्षधाम न केवल एक पारंपरिक स्थान होगा, बल्कि एक पर्यावरण जागरूक समाज की ओर बढ़ता कदम भी सिद्ध होगा।
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