लेफ्टिनेंट कर्नल पत्नी ने तिरंगे में लिपटे पायलट पति को दी अंतिम सलामी, हाथ में तस्वीर... आंखों में आंसू
उत्तराखंड के केदारनाथ में हुए दर्दनाक हेलीकॉप्टर हादसे में जान गंवाने वाले जयपुर के पायलट राजवीर सिंह चौहान (37) की पार्थिव देह मंगलवार सुबह उनके पैतृक निवास शास्त्रीनगर पहुंची।

उत्तराखंड के केदारनाथ में हुए दर्दनाक हेलीकॉप्टर हादसे में जान गंवाने वाले जयपुर के पायलट राजवीर सिंह चौहान (37) की पार्थिव देह मंगलवार सुबह उनके पैतृक निवास शास्त्रीनगर पहुंची। सोमवार को बड़े भाई चंद्रवीर सिंह ने रुद्रप्रयाग में डीएनए टेस्ट और घड़ी व अंगूठी के आधार पर शव की शिनाख्त की थी। तमाम कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद वह मंगलवार सुबह 7 बजे शव लेकर जयपुर पहुंचे।
घर पहुंचते ही चीख-पुकार मच गई। राजवीर की पत्नी दीपिका सिंह, जो खुद भी आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं, ने आर्मी यूनिफॉर्म में अपने पति के अंतिम दर्शन किए। शास्त्रीनगर के घर में माहौल गमगीन था। राजवीर के जुड़वां बेटों को देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं। उनका अंतिम संस्कार चांदपोल मोक्ष धाम में सैन्य सम्मान के साथ किया गया।
हादसे की पृष्ठभूमि
यह हादसा रविवार सुबह करीब 5.20 बजे गौरीकुंड के पास हुआ था, जब खराब मौसम के चलते हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। इसमें पायलट राजवीर सिंह सहित सात लोगों की जान चली गई। राजवीर सिंह सबसे आगे उड़ रहे हेलीकॉप्टर के पायलट थे और टीम को लीड कर रहे थे। हादसे से ठीक पहले उन्होंने पीछे उड़ रहे दूसरे हेलीकॉप्टर के पायलट को खराब मौसम की जानकारी दी थी।
सेना से सेवा, फिर एविएशन में करियर
राजवीर सिंह आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से रिटायर हुए थे। वे बेहद अनुशासित और समर्पित अफसर माने जाते थे। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने सितंबर 2024 में एक निजी एविएशन कंपनी 'आर्यन एविएशन प्राइवेट लिमिटेड' को बतौर पायलट जॉइन किया था। करीब डेढ़ महीने पहले उन्होंने चारधाम यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर उड़ाना शुरू किया था।
उनके पिता गोविंद सिंह चौहान भी सेना से लेफ्टिनेंट कर्नल पद से रिटायर हुए हैं। राजवीर की पत्नी दीपिका सिंह वर्तमान में सेना में कार्यरत हैं। हाल ही में राजवीर जुड़वां बेटों के पिता बने थे, जिससे परिवार में खुशी का माहौल था। लेकिन अब यह हादसा पूरे परिवार को तोड़ गया।
चंद्रवीर बोले: भाई हीरो था, जान की बाजी लगाकर टीम को चेताया
राजवीर के बड़े भाई चंद्रवीर सिंह ने बताया कि राजवीर ने हादसे से पहले ही खराब मौसम की सूचना अपने पीछे आ रहे दूसरे पायलट को दे दी थी। वह हमेशा दूसरों की सुरक्षा पहले रखता था। “जब बॉडी मिली तो घड़ी और अंगूठी से उसे पहचाना। डीएनए सैंपल लिए गए और सोमवार शाम हमें शव सौंपा गया।”
शास्त्रीनगर में शोक की लहर, श्रद्धांजलि देने उमड़ा जनसैलाब
पार्थिव देह के जयपुर पहुंचते ही शास्त्रीनगर क्षेत्र में मातम छा गया। बड़ी संख्या में लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे। राजनीतिक, सैन्य और प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा आम लोग भी इस मौके पर पहुंचे और श्रद्धांजलि दी।
पायलट राजवीर सिंह का यह बलिदान न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे राज्य और देश के लिए अपूरणीय क्षति है। उनके साहस, सेवा और समर्पण को सदैव याद किया जाएगा।
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