तिलवाड़ा के शाही युद्ध रथ को मेरठ ले जाने की तैयारी
Bagpat News - - आला टीले पर हुए उत्खनन से प्राप्त शेष पुरानिधि को पहुँचाया गया मेरठतिलवाड़ा के शाही युद्ध रथ को मेरठ ले जाने की तैयारीतिलवाड़ा के शाही युद्ध रथ को म

तिलवाड़ा में चल रहे प्रथम चरण के उत्खनन पर ब्रेक लग चुका हैं। पुराविद यहां से प्राप्त ताबूत, मनकें, मृदभांड, ताम्र निर्मित प्लेट समेत पुरानिधि को मेरठ ले जा चुके हैं। अब केवल यहां सबसे महत्वपूर्ण शाही युद्ध रथ रह गया है जिसे बाहर निकाल मेरठ भेजने की तैयारी की जा रही हैं। दरअसल, छपरौली क्षेत्र के तिलवाडा गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा कराए जा रहे उत्खनन कार्य में मिले शाही युद्ध रथ को सुरक्षित बाहर निकालने में दिन-रात एक किए हुए है। शाही युद्ध रथ के विशाल पहिया का ऊपरी हिस्सा नष्ट हो चुका है। विशेष बात यह है कि तिलवाडा में मिला युद्ध रथ सिनोली में मिले 3 युद्ध रथ से काफी बड़ा हैं।
एक ट्रेंच से पुरातत्वविदों को कॉपर निर्मित आयताकार प्लेट, खंजर, बीड्स, मनकें, छोटे-बड़े पॉट्स मिले। सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप तिलवाडा से भी शाही युद्ध रथ और ताबूतनुमा आकृति सामने आई हैं। ताबूत और रथ एक-दूसरे से सटकर रखे गए थे। ये सभी एक खास तरह के चैंबर में रखे गए थे जिनमें कोई मानव कंकाल नहीं था। वरिष्ठ इतिहासकार डॉ अमित राय जैन का कहना था कि ये चैंबर एक तरह के सिम्बोलिक स्ट्रक्चर हैं यानी दाह/दफन संस्कार के प्रतीकात्मक रूप। अब यहां पर केवल युद्ध रथ ही शेष रह गया है जिसका अभी तक पहिये का हिस्सा ही सामने आया है और वह भी ऊपर से पूर्ण अवस्था में नहीं हैं। रथ के पहिए, धुरी, रथ का ढांचा जिसपर कॉपर से निक्काशी हैं। अब इस बड़े पहिये को सुरक्षित करने पर पूरा ध्यान पुराविद लगाए हुए हैं। तिलवाड़ा में पुरातत्वविदों की माने तो एक पहिया ही अभी सामने आया है जिसे बाहर निकाला जा रहा है। --------------
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